आपने टीवी चैनलों, वेबसाइटों और अख़बारों में पढ़ा-सुना होगा कि कोरोना-संक्रमितों की संख्या 35 हज़ार के आसपास पहुँच गई। परंतु एक ख़ुशी की बात बहुत कम माध्यमों ने बताई होगी कि इन मामलों की डबलिंग रफ़्तार अब 11 से ज़्यादा हो गई है।
कोरोना : डबलिंग रेट 11 हुआ, 1 होता तो एक माह में संक्रमित हो जाते 80% लोग
- विश्लेषण
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- 30 May, 2020

देश में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या हर रोज़ बढ़ती जा रही है फिर भी सरकारी अधिकारी और स्वास्थ्य महकमों से जुड़े लोग क्यों भारत में स्थिति बेहतर होने की बात कह रहे हैं? वे कह रहे हैं कि डबलिंग रेट में सुधार हुआ है। तो आख़िर क्या है यह डबलिंग रेट और क्यों ख़ुश हो रहे हैं अफ़सर?
कई लोग कहेंगे कि डबलिंग रेट में सुधार से क्या फ़र्क पड़ता है चाहे वह कम हो या ज़्यादा क्योंकि मरीज़ों की संख्या तो तेज़ी से बढ़ ही रही है। मसलन, 20 मार्च को मरीज़ों की संख्या 250 थी जो 23 मार्च को बढ़कर 500 हो गई यानी डबलिंग रेट तब 3 का था। आज दो महीने बाद वह 11 है तो 11 दिनों के बाद मरीज़ों की संख्या 17.5 हजार से बढ़कर 35 हज़ार हुई है। मगर रफ़्तार कम होने से लाभ क्या हुआ - 11 दिनों में 17.5 हज़ार बढ़े जबकि पहले तीन दिनों में केवल 200 बढ़ रहे थे?
पहली नज़र में बात बिल्कुल सही लगती है। लेकिन सच्चाई गहराई में जाने से ही मालूम होगी।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश