कोरोना भयावह होता जा रहा है। जुलाई के पहले 11 दिनों में ढाई लाख कोरोना केस देश में दर्ज किये गये हैं। लॉकडाउन के 68 दिन में कुल मिलाकर इतने कोरोना केस नहीं आए थे। केंद्र सरकार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर शुरुआत से तमाम आँकड़ों के ज़रिये यह संदेश देने में लगी है कि भारत में कोरोना प्रबंधन बेहतरीन है और कई देश भारत का अनुसरण कर रहे हैं। डबलिंग रेट, कंपाउंडेड ग्रोथ रेट, पॉजिटिविटी रेट, मोरटैलिटी रेट आदि इंडिकेटर्स की बात की जाती रही है। आम आदमी इनपर भरोसा करके निश्चिंत हो गया। लेकिन न 21 दिन में कोरोना नियंत्रित हुआ, न मई में कोरोना पीक पर पहुँचा, न जून में कोरोना के प्रसार में कमी आनी शुरू हुई और न अब तक कोरोना का ग्राफ़ सपाट हो पाया है।