15 अगस्त 1947 यानी स्वतंत्रता दिवस! भारत के इतिहास का एक ख़ास दिन! लेकिन क्या ‘स्वतंत्रता’ केवल अंग्रेज़ों राज से मिली थी? नहीं, इस तारीख़ को उपनिवेशवाद के साथ-साथ ‘ग़ैर-बराबरी’ की ज़ंजीरों से भी मुक्ति मिली थी जो अंग्रेज़ों के समय और उनके आगमन पूर्व भारत की ख़ास पहचान थी। उपमहाद्वीप के पाँच हज़ार साल के इतिहास में पहली बार दलितों, आदिवासियों, कृषकों, श्रमिकों, शिल्पकारों, स्त्रियों समेत तमाम वंचित समूहों को वैधानिक रूप से ‘बराबर’ माना गया था। यानी ‘स्वतंत्रता-दिवस’ भारत की प्रथम ‘बहुजन क्रांति’ का दिन भी है।
15 अगस्त 1947 को कांग्रेस के नेतृत्व में पहली ‘बहुजन क्रांति’ हुई थी!
- विश्लेषण
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- 2 Sep, 2024
भाजपा-आरएसएस जहां आरक्षण को खत्म करने और संविधान को बदलने का घृणित अभियान चुपचाप चला रहे हैं, वहीं कांग्रेस अपनी विरासत को कायम रखते हुए इसे बचाने की लड़ाई लड़ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता विपक्ष राहुल गांधी को समय रहते यह समझ आ गया कि भाजपा की नीति दरअसल क्या है। वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव इतिहास के हवाले से बता रहे हैं कि कांग्रेस ने ही पहली बहुजन क्रांति की थी और किस तरह यह पार्टी बहुजनों के अधिकारों के लिए हमेशा खड़ी रही है। पढ़िए एक तथ्यात्मक लेखः
