पूरी दुनिया की तरह भारत भी कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रहा है। पर एक अंतर है। पिछले एक सप्ताह से यहाँ के लोग इस महामारी के बारे में सिर्फ़ एक ही बात की अनावश्यक चर्चा कर रहे हैं– मुसलमानों के धार्मिक समूह तब्लीग़ी जमात से इसके जुड़ाव की।
पक्षपाती जाँच सैंपलिंग की मीडिया रिपोर्टिंग ने तब्लीग़ी जमात को बना दिया विलेन?
- विश्लेषण
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- 19 Apr, 2020

हाल के दिनों में कोरोना वायरस फैलने पर तब्लीग़ी जमात को अनावश्य ही निशाने पर लिया गया। क्या जाँच सैंपलिंग की पक्षपाती मीडिया रिपोर्टिंग ने तब्लीग़ी जमात को बना दिया विलेन?
तब्लीग़ी जमात का एक कार्यक्रम इस वर्ष मार्च के शुरू में दिल्ली में आयोजित हुआ। दक्षिण पूर्व एशिया के अलावा देश भर से आए जमात के सदस्यों ने इसमें शिरकत की। बाद में यह पता चला कि इसमें शामिल होने वाले कुछ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे। जब यह कार्यक्रम समाप्त हुआ तो वे लोग जो अलग-अलग राज्यों से इसमें शामिल होने आए थे, अपने घर लौट गए और ज़ाहिर है कि वे संक्रमण के साथ लौटे।
इस बात में कोई संदेह नहीं कि इस आयोजन से संक्रमण फैला लेकिन इस बारे में समाचार माध्यमों में जो रिपोर्टिंग हुई उसमें इसको कुछ इस तरह से पेश किया गया कि भारत में इसी कार्यक्रम ने मुख्य रूप से कोरोना का संक्रमण फैलाया है। सवाल उठता है कि यह कितना सही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसा कहना क़तई सही नहीं है।