भारत में इस समय चुनाव का मौसम है। हिंदू बहुसंख्यकवाद की राजनीति करने वाली भाजपा तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में है। दो दिन पहले कांग्रेस पार्टी ने न्याय पर आधारित अपना घोषणापत्र जारी किया। कांग्रेस का घोषणापत्र सामाजिक न्याय का दस्तावेज है। हमेशा सामाजिक न्याय के खिलाफ हिंदुत्व के एजेंडे पर राजनीति करने वाली भाजपा भला इसे कैसे बर्दाश्त करती! इसलिए नरेंद्र मोदी ने हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो पर मुस्लिम लीग की छाप है। आरएसएस और जनसंघ के जमाने से ही दक्षिणपंथी हिन्दुत्ववादी राजनीति, अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं के मन में डर और नफरत पैदा करती रही है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी सेक्युलर दलों पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाकर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण किया गया। लेकिन उसे पहली सफलता 1990 के दशक में मिली।

कांग्रेस के घोषणापत्र को मीडिया ने इतनी कवरेज नहीं दी, जितनी पीएम मोदी और भाजपा नेताओं ने उसका प्रचार करते हुए दे दी है। मोदी ने कहा कि कांग्रेस का घोषणापत्र मुस्लिम लीग के विचारों पर आधारित है। इंटरनेट पर पिछले 24 घंटे में यह सर्च करने वालों की तादाद वायरल हो गई कि मोदी के बोलने के बाद युवा पीढ़ी कांग्रेस के घोषणापत्र को जानने में जुट गई। सामाजिक विचारक रविकान्त विश्लेषण करते हुए बता रहे हैं कि दरअसल, भाजपा और मोदी कांग्रेस के घोषणापत्र पर इतना क्यों बौखलाए हुए हैं। आप भी जानिएः
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।