अपनी पत्नी और आम आदमी पार्टी की एक कद्दावर नेता बन चुकी नेता सुनीता केजरीवाल को दरकिनार कर आतिशी मार्लेना का चुनाव करके पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। अगर वे सुनीता केजरीवाल को चुनते तो उनके ऊपर भी लालू यादव की तरह, बिना अनुभव के सिर्फ परिवारवाद को बढ़ावा देने और पार्टी में लोकतंत्र खत्म कर देने जैसे आरोप लगाये जाते। सुनीता केजरीवाल ने पति और पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल के जेल के दिनों के मुश्किल राजनीतिक दौर में उनका और पार्टी का पूरा साथ समर्थन तो दिया, लेकिन आतिशी का चुनाव शुद्ध रूप से उनके प्रशासनिक अनुभव, साफ छवि, और सुधारवादी दृष्टिकोण के साथ साथ केजरीवाल के प्रति उनकी पूर्ण वफादारी के कारण सर्वाधिक उपयुक्त माना जा रहा है। हालांकि आतिशी के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी सत्ता का सुखदायी सिंहासन नहीं, बल्कि चुनौतियों और कांटों से भरा ताज मिला है।
बेहतर कैसे हैं आतिशी?
आम आदमी पार्टी (AAP) के अन्य कई वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य हो सकते थे, लेकिन उनके खिलाफ लगे विभिन्न आरोप और कुछ अन्य कारणों से शायद वे इस पद के लिए चयनित नहीं हुए।
1. उप मुख्यमंत्री तथा शिक्षा और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया: पार्टी में दूसरे नंबर के बड़े नेता मनीष भी दिल्ली शराब नीति घोटाले में आरोपी हैं और गिरफ़्तार भी हो चुके हैं।
2. स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन: दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक की सफलता के लिए जाने जाने वाले जैन पर भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।
3. परिवहन और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय: गोपाल राय एक अनुभवी और प्रभावशाली नेता हैं, लेकिन जनाधार सीमित है और किसी बड़े प्रशासनिक सुधार या योजना में उतनी प्रमुख भूमिका नहीं रही है।
4. कैलाश गहलोत: गहलोत पर भी कुछ विवादास्पद जमीन सौदों से जुड़े आरोप हैं।
5. सुनीता केजरीवाल: अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल का भी नाम संभावित उम्मीदवारों में था, लेकिन उनका प्रशासनिक अनुभव सीमित है और राजनीति में उनकी कोई सीधी भूमिका नहीं रही है।
आतिशी की छवि साफ है, प्रशासनिक अनुभव मजबूत है और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान प्रमाणित है। उनका चयन पार्टी को स्वच्छ और प्रगतिशील नेतृत्व देने के अवसर के साथ विपक्ष के आरोपों का भी माकूल जवाब है।
चुनौतियों और कांटों से भरा ताज
हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी को सत्ता का सुखदायी सिंहासन नहीं बल्कि चुनौतियों और कांटों से भरा ताज मिला है। मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के सामने अनेक चुनौतियाँ होंगी जो न केवल उनकी प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा लेंगी, बल्कि उनकी राजनीतिक सूझ-बूझ और नेतृत्व क्षमता का भी सख्त इम्तिहान होंगी।
सबसे बड़ी चुनौती सुशासन की होगी, जो दिल्ली के आम आदमी की जमीनी समस्याओं से जुड़ी है—चाहे वह पानी की किल्लत हो, प्रदूषण का मुद्दा हो, या स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के निरंतर प्रयास। इसके अलावा, लेफ्टिनेंट गवर्नर के साथ तालमेल बैठाना, जो अक्सर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव का कारण बनता है, भी आतिशी के लिए एक प्रमुख चुनौती होगी।
केजरीवाल का उनके प्रति यह भरोसा स्पष्ट है, लेकिन एक सुधारक से लेकर एक राजनीतिक नेता बनने तक की यात्रा, जो दिल्ली जैसे जटिल शहर की पूरी शासन संरचना को संभालेगी, एक कठिन कार्य होगा।
सुशासन, शिक्षा सुधार, और महिला सशक्तिकरण की प्रमुख कर्ताधर्ता रहीं आतिशी मार्लेना दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में कम उम्र में राजनीति की उस ऊंचाई पर जा खड़ी हुई हैं, जहां पहुंचने के लिए अनेक नेता अपना पूरा राजनीतिक जीवन लगा देते हैं। राजनीतिक लचीलेपन, बौद्धिक दृष्टिकोण और सुधारवादी नीतियों से भरी उनकी यात्रा और पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का उनके प्रति विश्वास ने उन्हें दिल्ली की नेतृत्व भूमिका में ला दिया है, जो एक लाइफ टाइम एचीवमेंट और स्वर्णिम अवसर है।
मुख्यमंत्री पद की चुनौती उनके नेतृत्व, प्रशासनिक क्षमताओं और राजनीतिक कौशल की नई परीक्षा तो होंगी ही पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को संभालना, विपक्ष के हमलों का प्रभावी जवाब देना और पार्टी की छवि को बनाए रखना भी उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा। बावजूद इसके कि उन्हें केजरीवाल का समर्थन प्राप्त है, यह अवसर उनके लिए महत्वपूर्ण भी है और चुनौती पूर्ण भी। देखना होगा कि वह इन कड़ी चुनौतियों से कैसे निपटती हैं और दिल्ली की जनता का विश्वास कैसे जीतती हैं।
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शैक्षिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि
आतिशी की बौद्धिक क्षमता उनके शैक्षणिक उपलब्धियों और प्रगतिशील शिक्षित परिवार की पृष्ठभूमि से आई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई को बाद ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से चेवेनिंग स्कॉलर के रूप में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त आतिशी के माता-पिता विजय सिंह और त्रिप्ता वाही, दोनों शिक्षक और समाजसेवी रहे हैं। परिवार में बचपन से ही राजनीति, सामाजिक न्याय और शिक्षा पर चर्चा होती थी, जिसने उन्हें समाज सेवा के लिए प्रेरित किया और राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया।
जब केजरीवाल जेल में थे
जब केजरीवाल, सिसोदिया व संजय सिंह से लेकर पार्टी के कई बड़े नेता जेल में थे, और दिल्ली सरकार में नेतृत्व का अभाव सा था, तो आतिशी ने इन महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को कुशलतापूर्वक संभाल कर अपनी प्रशासनिक क्षमता साबित की, जिससे पार्टी में उनके प्रति विश्वास और मजबूत हुआ।
प्रशासनिक चुनौतियाँ
आतिशी की भूमिका बतौर सलाहकार मनीष सिसोदिया के तहत शिक्षा में सुधार करने की रही है। उनकी देखरेख में हैप्पीनेस करिकुलम और एंटरप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम जैसे सुधार किए गए, जिन्हें दिल्ली व देश समेत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया। हालांकि, अब मुख्यमंत्री आतिशी को दिल्ली के पूरे प्रशासनिक तंत्र को संभालना ज्यादा चुनौती भरा होगा। दिल्ली के कई महत्वपूर्ण विभाग लेफ्टिनेंट गवर्नर और केंद्र सरकार के अधीन होते हैं—और तकरार होती रहती है। उसमें सफलतापूर्वक नेविगेट करना उनके प्रशासनिक कौशल की असली परीक्षा होगी।
राजनीतिक चुनौतियाँ
आतिशी की राजनीतिक यात्रा में कठिनाइयाँ भी रही हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के गौतम गंभीर से हारना उनके लिए बड़ा झटका था। इस हार ने दिखाया कि उन्हें जनाधार बढ़ाने और मजबूत राजनीतिक व्यक्तित्व के निर्माण की आवश्यकता है। हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में कालकाजी से उनकी जीत ने उनकी राजनीतिक स्थिति को मजबूत किया।
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स्वाति मालीवाल का मुद्दा
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रही स्वाति मालीवाल द्वारा केजरीवाल के पीए रहे विभव कुमार पर लगाये आरोपों और केजरीवाल द्वारा उन्हें राज्यसभा से इस्तीफा देने को कहने के बीच जारी विवादों के आलोक में भी आतिशी का मुख्यमंत्री बनना यह साबित करेगा कि AAP प्रगतिशील नेतृत्व, लैंगिक समानता और स्वच्छ शासन के लिए प्रतिबद्ध है।
विपक्ष की आलोचना का जवाब
मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी का चुनाव एक अहम रणनीतिक कदम भी है और बीजेपी और कांग्रेस द्वारा पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल की आलोचनाओं का जवाब भी। अरविंद केजरीवाल ने एक बार कहा था, "AAP सिर्फ एक पार्टी नहीं है, यह एक आंदोलन है।" केजरीवाल ने यह साफ संदेश दिया है कि AAP भविष्य के लिए नए नेताओं को तैयार कर रही है जो पार्टी को आगे ले जा सकते हैं।
निर्णायक क्षण
दिल्ली की मुख्यमंत्री बनना आतिशी मार्लेना के लिए एक निर्णायक क्षण है। आतिशी ने कहा है, "अच्छा शासन केवल नीतियों के बारे में नहीं है, यह लोगों के बारे में है।" इस कथन में उनका मानवीय दृष्टिकोण स्पष्ट है, लेकिन मुख्यमंत्री के तौर पर उनके धैर्य, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व की वास्तविक परीक्षा होगी। अगर वह इन चुनौतियों से पार पाती हैं, तो वह न केवल दिल्ली की एक प्रमुख नेता बनेंगी, बल्कि भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय भी लिखेंगी।
(लेखक एक प्रसिद्ध पत्रकार, राष्ट्रीय सहारा के पूर्व वरिष्ठ समूह संपादक, टीवी न्यूज एजेंसी एएनआई के पूर्व संपादक, राजनीतिक टिप्पणीकार, रणनीतिकार, लेखक और विचारक हैं। उन्होंने अब तक 10 पुस्तकें लिखी हैं।)
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