पिछले कुछ साल में कृषि नीति के नाम पर जिस तरह से हथेली पर सरसों उगाने की कोशिश कर रही है उसका सबसे ज्यादा असर अब सरसों किसानों पर दिख रहा है। सरकार ने सरसों की खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस साल 5,450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। पिछले साल के मुकाबले 400 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा। लेकिन अब खुले बाजार में किसानों को इससे बहुत कम कीमत मिल रही है।

केंद्र सरकार की कृषि नीति समय पर फैसला न लेने के बुरे नतीजों का शिकार हो चुकी है। सरसों बोने वाले किसानों के साथ इस बार कैसे धोखा हुआ है, उसे वरिष्ठ पत्रकार हरजिंदर के नजरिए से समझिए।