आगामी 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे। यह मंदिर उसी जगह बनेगा जहाँ 6 दिसंबर 1992 तक बाबरी मसजिद हुआ करती थी।
सीएए के ख़िलाफ़ जिस तरह लोगों की तसवीरें शहर में खुले में लगवा दी गई हैं, सवाल उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बदले की भावना से काम कर रही है?
पूर्वांचल की कम से कम 16 सीटों पर गठबंधन को 2014 में जो कुल वोट मिले थे वे बीजेपी को मिले वोटों से काफ़ी ज़्यादा थे। ग्यारह सीटों पर बीजेपी आगे थी। तो क्या बीजेपी की मुश्किल नहीं बढ़ेगी?
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालात देखकर ऐसा लगता है कि प्रदेश में बना गठबंधन और कांग्रेस, दोनों एक-दूसरे का नुक़सान करने और बीजेपी को फायदा पहुँचाने में लगे हैं।
अयोध्य विवाद के निपटारे के लिए बनी मध्यस्थता समिति के सामने दोनों पक्ष समझौते के लिए कितना झुकेंगे यह कहना मुश्किल है, क्योंकि आज भी वे अपनी-अपनी बात पर अड़े हुए हैं।
कुंभ मेला क्षेत्र में हुई उत्तर प्रदेश की कैबिनेट बैठक से ऐसा लगा कि विकास से ज्यादा हिंदुत्व की राजनीति को मज़बूत करना सीएम योगी आदित्यनाथ का मुख्य उद्देश्य था।
2014 में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 43 प्रतिशत वोट के साथ 73 सीटें मिली थीं, लेकिन सपा-बसपा के गठबंधन के बाद ऐसा नहीं लगता कि 2019 में बीजेपी की राह आसान होगी।