‘मैं राजनीति में इसलिए आई हूँ, ताकि उस नज़रिए को बदल सकूँ, जिस नज़रिए से यह समाज अपने लोगों और उनके अधिकारों को देखता है।’
फ़िनलैंड में समलैंगिक की बेटी प्रधानमंत्री बनीं; भारत ‘धर्म’ में ही उलझा रहेगा?
- दुनिया
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- 18 Dec, 2019

क्या सना मरीन का फ़िनलैंड का प्रधानमंत्री चुना जाना दुनिया के दूसरे लोकतांत्रिक देशों के लिए किसी बदलाव का संकेत हो सकता है? वह सिर्फ़ 34 वर्ष की हैं।
—सना माइरेल मरीन, फ़िनलैंड की प्रधानमंत्री
क्या सना मरीन का फ़िनलैंड का प्रधानमंत्री चुना जाना दुनिया के दूसरे लोकतांत्रिक देशों के लिए किसी बदलाव का संकेत हो सकता है? पिछले हफ़्ते 10 दिसंबर को सना को वहाँ का प्रधानमंत्री चुना गया। वह सिर्फ़ 34 वर्ष की हैं। इस तरह वह विश्व में सबसे कम उम्र वाली प्रधानमंत्री हैं और उनका चुनाव आजकल पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस चुनाव के कुछ बिंदुओं पर विशेष रूप से ग़ौर करने की ज़रूरत है। शुरुआत हम सना की पृष्ठभूमि से करते हैं। वह एक अत्यंत सामान्य परिवार से आती हैं, या कहें तो निम्न आय वर्ग वाले परिवार से। उनके जन्म के बाद उनकी माँ और पिता का अलगाव हो गया और उनकी माँ अपनी महिला मित्र के साथ रहने लगीं। सना की माँ समलैंगिक हैं और सना का पालन-पोषण उन दोनों महिलाओं ने ही मिल कर किया है। सना बताती हैं कि राजनीति में उतरने के बावजूद काफ़ी समय तक वह किसी अदृश्य व्यक्तित्व की तरह रहीं, क्योंकि अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि और पालन-पोषण के बारे में बताने लायक उनके पास कुछ था ही नहीं।