एक के बाद एक क़ानून में लगातार संशोधन क्यों किए जा रहे हैं। आरटीआई, एनआईए, यूएपीए क़ानून में संशोधन से पहले क्या पूरी चर्चा हो रही है? इमर्जेंसी तो नहीं लगी है, लेकिन लोग क्यों कह रहे हैं कि यह उससे कम भी नहीं है। ऐसे ज्वलंत हालात पर देखिए 'रिटायर्ड आईएएस राजू शर्मा से शीतल के सवाल'।
लोकसभा में एनआईए क़ानून पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर पोटा क़ानून ख़त्म न किया गया होता तो मुंबई हमला भी न होता। यदि क़ानून बनाने से आतंकवाद से निपटा जा सकता है तो पूरी दुनिया में क़ानून क्यों नहीं बनाया जाता?