निर्देशक राजेश तिवारी के निर्देशन में पिछले शनिवार दिल्ली के श्रीराम सेंटर में `नन्ही जान के दो हाथ’ एक ऐसा प्रयोग था जिसमें दो कहानियों को इस तरह मिलाया गया कि वे अलग-अलग लगी ही नहीं। पढ़िए रवीन्द्र त्रिपाठी की समीक्षा।
समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में इस्मत चुग़ताई का नाम किसी तआरुफ का मोहताज़ नहीं। वह जितनी हिंदुस्तान में मशहूर हैं, उतनी ही पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी। उनके चाहने वाले यहाँ भी हैं और वहाँ भी।