क्या चुनाव आयोग की आचार संहिता कारगर नहीं है? यदि ऐसा है तो 66 पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों ने राष्ट्रपति के नाम पत्र क्यों लिखा है? चुनाव आयोग के कामकाज के तरीक़े पर आपत्ति क्यों है?
क्या वोट के लिए मुफ़्त में सामान बाँटने जैसी पेशकश करना चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है? यदि नहीं है तो क्या इसे उल्लंघन के दायरे में नहीं होना चाहिए? यह सवाल एक ऐसे ही विज्ञापन के बाद उठ रहा है।