इस्लाम में जाति व्यवस्था नहीं होती लेकिन भारतीय मुसलमान जातियों में बंटे हैं । पसमांदा मुसलमान दलित और पिछड़े मुसलमान हैं । हिंदू दलितों और पिछड़ों की तरह उनको भी समाज में वो दर्जा और सम्मान नहीं हासिल है जो अगडों को है । क्या है उनके मुद्दे और क्यों अब मोदी सरकार और संघ परिवार उनपर डोरे डाल रहे हैं ? क्या हिंदुत्व में पसमांदा मुसलमानों के लिये जगह है ? अली अनवर ने पसमांदा मुसलमानों के लिये आंदोलन की शुरूआत की थी । अब उनकी किताब राजकमल से आयी है । पसमांदा के सवाल पर ।