भारतीय जनता पार्टी अयोध्या के राम मन्दिर-बाबरी मसजिद विवाद की तरह ही दक्षिण भारत में भी एक बड़ा विवाद खड़ा करने की जुगत में है। उसने राम मंदिर की तरह ही सबरीमला विवाद में भी अदालत के फ़ैसले को मानने से साफ़ इनकार कर दिया है। उसने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए पूछा है कि वह ऐसे फ़ैसले देता ही क्यों है।
अदालत से ही सवाल
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने केरल के कन्नूर ज़िले में एक जनसभा में सबरीमला मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ऐसे फ़ैसले न दे जिन्हें लागू करना मुमकिन न हो।उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार और जिन्होंने अदालत में फ़ैसला सुनाया है, उनसे यह कहना चाहता हूं कि वे ऐसे फ़ैसले दें जिन्हें लागू किया जा सकता है, ऐसे नहीं जो लोगों की आस्था को तोड़ देता हो। संविधान की धारा 14 (समानता का अधिकार) को हमेशा उद्धृत किया जाता है और इसकी तारीफ़ की जाती है। पर वहीं धारा 25 और 26 भी है, जो हर नागरिक को अपनी आस्था का पालन करने की छूट देती है। एक धारा भला दूसरे धारा को कैसे काट सकती है?’