‘चिराग पासवान को यह तय करना है - “उन्हें आरएसएस के ‘बंच ऑफ़ थॉट्स’ के साथ रहना है या संविधान निर्माता बाबा साहब ने जो लिखा है, उसका साथ देंगे।” यह बात कही तो है बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लेकिन हर तरफ से अलग-थलग पड़ चुके स्वर्गीय रामविलास पासवान के वारिस और उनके द्वारा नियुक्त लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान आज इसी दोराहे पर खड़े हैं।

चिराग को मोदी से ‘संरक्षण’ मिल जाए इसके लिए उन्होंने 2014 की याद दिलायी है कि कैसे नीतीश कुमार ने मोदी की प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी का विरोध किया था और एनडीए से अलग हो गये थे।
चिराग पासवान ने खुद को ‘मोदी जी का हनुमान’ घोषित कर रखा है और सत्य हिन्दी के साथ इंटरव्यू में उन्होंने जहां उनसे साथ नहीं मिलने का दर्द बयान किया वहीं यह भी कहा कि दिल के कोने में उम्मीद है कि अपने हनुमान के संरक्षण में राम आगे आएंगे।
अब इसका पता कैसे चलेगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चिराग पासवान की यह उम्मीद पूरी करेंगे या नहीं? ऐसा लगता है कि चिराग अभी थोड़ा इंतजार करना चाहते हैं क्योंकि बंगाल में चुनाव हारने के बाद बिहार में नीतीश कुमार पर बीजेपी का दबाव कुछ कम हुआ है। ऐसे में चुनावी गठबंधन के लिए समय होने के कारण बीजेपी अभी चिराग पासवान का खुलकर समर्थन नहीं करेगी और न ही उनके लिए गुंजाइश को बंद करेगी।