दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया कभी भी जेल जा सकते हैं। यह आशंका उन्होंने अब खुद ही जता दी है। दिल्ली सरकार के मंत्री और सीएम अरविन्द केजरीवाल के खास सत्येंद्र जैन करप्शन के आरोप में इस समय जेल में हैं। अगर सिसोदिया भी जेल जाते हैं तो दिल्ली में केजरीवाल सरकार का कामकाज ठप होना तय है। क्योंकि दिल्ली में 6 से ज्यादा मंत्री नहीं हो सकते। अब दूसरा मंत्री भी अंदर गया तो मुसीबत बढ़ जाएगी। सिसोदिया के बाद केजरीवाल के पास ऐसा सशक्त चेहरा नहीं है जो उनकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को परवान चढ़ाने के लिए दिल्ली की कमान संभाल सके। सचमुच आम आदमी पार्टी और केजरीवाल दोनों गंभीर संकट में फंस गए हैं।
सत्येंद्र जैन को जब मई 2022 में गिरफ्तार किया गया, उसके बाद केजरीवाल ने उनका इस्तीफा आजतक नहीं मांगा। अब भी वो मंत्री बने हुए हैं। लेकिन उनके विभाग विभिन्न मंत्रियों के पास चले गए। इसी वजह से सिसोदिया इस समय 18 विभागों के मुखिया बने हुए हैं। आम आदमी पार्टी की शुरुआती रणनीति यह थी कि केजरीवाल राष्ट्रीय राजनीति के लिए फुलटाइम उपलब्ध रहेंगे। सत्येंद्र जैन और राघव चड्ढा तमाम राज्यों के संगठन को बनाने-संभालने की जिम्मेदारी निभाएंगे और सिसोदिया दिल्ली की जिम्मेदारी संभालेंगे। पंजाब चुनाव के दौरान यह अफवाह तक फैली कि केजरीवाल कुछ दिनों बाद पंजाब के सीएम बन जाएंगे और सिसोदिया दिल्ली के सीएम बन जाएंगे।
राजनीति का पहिया अपने हिसाब से चलता है। सत्येंद्र जैन जब हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आप के संगठन को बनाने में व्यस्त थे, उसी दौरान उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया गया। पंजाब का किला फतह करने के जश्न में डूबी पार्टी ने इसे बहुत तूल नहीं दिया और चुपचाप सत्येंद्र जैन के विभाग सबसे ज्यादा सिसोदिया और बाकी मंत्रियों में बांट दिए।
18 विभागों की जिम्मेदारी
सिसोदिया इस समय 18 विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यह भी कहा जा सकता है कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार वही चला रहे हैं। केजरीवाल गुजरात, हिमाचल पर फोकस कर रहे हैं। भारत को नंबर 1 बनाने जैसी सवालिया स्कीमें पेश कर रहे हैं। सिसोदिया ने शनिवार को उस डर का बयान कर दिया है जो सामने दिख रहा है। सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार उन्हें अगले दो-तीन दिनों में गिरफ्तार कर सकती है।
केजरीवाल की गलतियां
सिसोदिया की गिरफ्तारी होने की स्थिति में केजरीवाल सरकार का पूरी तरह चरमरा जाना तय है। इस गिरफ्तारी के बाद शराब नीति पर बुरी तरह घिरे केजरीवाल तक इसकी आंच में झुलस सकते हैं। लेकिन इस जिम्मेदारी से केजरीवाल भाग नहीं सकते कि उन्होंने सिसोदिया के अलावा दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेता अपनी पार्टी में तैयार नहीं किए जो इस संकट में डूबती नाव को संभाल सकें। केजरीवाल ने अपनी मार्केटिंग के आगे सबको पीछे धकेल दिया।
ऐसा वो आज नहीं बल्कि इस पार्टी की स्थापना के समय से कर रहे हैं। प्रशांत भूषण जैसा काबिल वकील इस पार्टी से चला गया। योगेन्द्र यादव जैसा कुशल संगठनकर्ता पार्टी छोड़कर चला गया। मजमा जुटाने में महारत हासिल करने वाले कवि कुमार विश्वास को पार्टी ने खुद किनारे लगा दिया। आशीष खेतान और उन जैसे तमाम युवा, जो दिल से केजरीवाल के भ्रष्टाचार विरोधी मकसद के लिए साथ आए थे, पार्टी को अलविदा कह गए।
फिर क्या ऑप्शन है केजरीवाल के पास
इस समय केजरीवाल के पास ऐसा कोई और चेहरा ही नहीं है जिसे वे सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली की कमान सौंप सकें और गुजरात में मोदी के किले को ध्वस्त कर सकें। एक ही स्थिति बचती है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी पर केजरीवाल अपनी सरकार का इस्तीफा सौंप दें और दिल्ली में भी चुनाव की स्थिति पैदा कर दें। यह बहुत चतुर राजनीति होगी। बीजेपी इस समय जब एमसीडी चुनाव का सामना करने की स्थिति में नहीं है तो विधानसभा चुनाव का सामना कैसे कर सकती है।
राजनीति असीम संभावनाओं का खेल है। केजरीवाल महत्वाकांक्षी हैं। रिस्क लेते हैं। वे ऐसा कर सकते हैं। ऐसा होने पर एक बहुत बड़ी सहानुभूति लहर दिल्ली से गुजरात तक उनके पक्ष में चल सकती है। देश के लोग भ्रष्टाचार के आदी हो चुके हैं। वे जल्द ही दिल्ली सरकार पर लगे आरोपों को भूल जाएंगे।
सिसोदिया से क्यों घबरा रही है केंद्र सरकार
शराब नीति के अलावा सिसोदिया पर कोई खास आरोप केंद्र सरकार नहीं लगा पाई है। जिस तरह केजरीवाल से भी आगे जाकर उन्होंने दिल्ली में कुछ फैसले किए हैं, उससे बीजेपी इस नतीजे पर पहुंची है कि सिसोदिया ही इस पार्टी की रीढ़ की हड्डी हैं। अभी वो जिस तरह दिल्ली में दो खेल यूनिवर्सिटीज को स्थापित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत की पहली महिला ओलंपिक पदक विजेता, भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी को उसका वीसी बनाया गया है। दोनों यूनिवर्सिटीज हॉस्टल के साथ होंगी। उनकी स्थापना के बाद न सिर्फ आम आदमी पार्टी की छवि बल्कि इन दोनों नेताओं की छवि बदलना तय था।
दिल्ली के आसपास हरियाणा और यूपी हैं। हरियाणा में खेल को लेकर बहुत क्रेज है। वहां के युवक तमाम असुविधाओं के बावजूद मेडल लाते रहते हैं। कई दिल्ली में आकर प्राइवेट कोचिंग तक करते हैं। दोनों यूनिवर्सिटीज के खुलने पर सबसे ज्यादा फायदा हरियाणा के युवकों का होना है। केजरीवाल खुद हरियाणा के रहने वाल हैं। 2024 में हरियाणा का किला फतह करने का रोडमैप केजरीवाल की राजनीतिक डायरी में है। उसके तमाम पार्षद नगर पालिकाओं में जीतकर आ चुके हैं। फरीदाबाद, गुड़गांव और करनाल नगर निगम के चुनाव में पार्टी को बेहतर सीट लाने की उम्मीद है।
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