प्रधानमंत्री मोदी के राजनीतिक गुरु वीडी सावरकर ने 'आज़ाद हिंद फौज' का विरोध किया था और स्वतंत्रता सेनानियों से लड़ने के लिये ब्रिटिश फौज में भारतीयों की भर्ती के लिये मुहिम चलाई थी। मोदीजी के ही दूसरे राजनीतिक गुरु डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी, जो बीजेपी की पूर्ववर्ती राजनीतिक पार्टी जनसंघ के संस्थापक थे- 1941 में जब नेताजी सुभाष अंग्रेजों से अंतिम युद्ध की योजना बना रहे थे और 'गांधीजी' के आह्वान पर 'भारत छोड़ो आंदोलन' की तैयारी चल रही थी, जब अधिकांश राष्ट्रवादी नेता अंग्रेजों की जेलों में बंद थे तब 'भारत विभाजन' की मुख्य योजनाकार 'मुसलिम लीग' के साथ सहयोग कर रहे थे।
सावरकर ने 'आज़ाद हिंद फौज' का विरोध किया था
- विचार
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- 24 Jan, 2022

बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी जिन स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर अभियान चला रहे हैं उनकी आज़ाद हिंद फौज को लेकर सावरकर का क्या रुख था?
यह सर्वविदित है कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी 1941 में बंगाल की 'मुसलिम लीग' सरकार में, जिसके मुख्यमंत्री फजलुर्रहमान थे, वित्तमंत्री का दायित्व निर्वाह कर रहे थे। इन्हीं फजलुर्रहमान ने 1940 में मुसलिम लीग के कराची अधिवेशन में भारत विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण का प्रस्ताव रखा था।