जैसे 2014 कोई मामूली साल नहीं था, वैसे ही 2019 कोई मामूली साल नहीं है। देश के इतिहास में उन्नीस बहुत ही ख़ास साल होने जा रहा है!
देश की क़िस्मत बदलने वाला साल होगा 2019
- विचार
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- 1 Jan, 2019

उन्नीस पर बहुत-से लोगों का भविष्य टिका है, रणनीतियों के समीकरण टिके हैं, दो विचारधाराओं की जंग का निष्कर्ष टिका है। नरेन्द्र मोदी, राहुल गाँधी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, सेकुलरिज़्म का क्या होगा, यह उन्नीस तय कर देगा। गोदी मीडिया का क्या होगा? क्षेत्रीय दलों में कौन बचेगा, कौन-से नेता बचेंगे, इसकी कहानी भी उन्नीस लिख कर जाएगा। संघ ने 2014 में जो जोखिम उठाया था, पाँच साल बाद उसका क्या हुआ, यह भी तय हो जाएगा।
वैसे चौदह भी बड़ा ख़ास साल था। बहुत-से लोगों को चौदह के आने का इंतज़ार था। अब बहुत-से लोग धड़कते दिलों से उन्नीस पर आस लगाए हैं।
चौदह बदलाव के सपनों, उम्मीदों और सब्ज़बाग़ों का साल था। चौदह से सबसे बड़ी उम्मीद थी कि यह देश की क़िस्मत बदल देगा। लेकिन अब साढ़े चार साल बाद हम निस्संकोच यह कह सकते हैं कि 'लव जिहाद' और गोरक्षा से लेकर 'मॉब लिंचिंग' तक देश तो बहुत बदल गया, लेकिन क़िस्मत नहीं बदली!
क़िस्मत अगर बदलेगी तो यक़ीनन उन्नीस में ही बदलेगी। इसलिए दिल थाम कर बैठिए क्योंकि उन्नीस ही तय करेगा कि देश किस दिशा में जाएगा? देश अपने नये-नवेले भगवा प्रयोग को आगे बढ़ा कर हिन्दू राष्ट्र बनने की तरफ़ बढ़ेगा या अपने पुराने रास्ते लौटना पसंद करेगा? धारा आगे बढ़ेगी या लौट जाएगी?
विचारधाराओं की जंग पर फ़ैसला
उन्नीस पर बहुत-से लोगों का भविष्य टिका है, रणनीतियों के समीकरण टिके हैं, दो विचारधाराओं की जंग का निष्कर्ष टिका है।
स्वतंत्र स्तम्भकार. 38 साल से पत्रकारिता में. आठ साल तक (2004-12) टीवी टुडे नेटवर्क के चार चैनलों आज तक