भारत की अर्थव्यवस्था पर चोट करने के लिए पाकिस्तान ड्रग और आतंक का सहारा तो लेता ही रहा है, आजकल वह सोने की तस्करी की आड़ में भी भारत के ख़िलाफ़ साज़िश रच रहा है। डायरेक्टरेट ऑफ़ रेवन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) की जाँच में यह आशंका जताई गई है। डीआरआई की जाँच में इसमें बड़ी साज़िश की बात कही गई है। अनुमान है कि आतंक, ड्रग और एलओसी ट्रेड पर दुनिया भर में फजीहत होने के कारण पाकिस्तान अब सोने की तस्करी में लिप्त होने लगा हो।
डीआरआई सूत्रों के मुताबिक़, जिस सिंडिकेट की जाँच के आधार पर पाकिस्तान पर सवाल उठ रहा है वह 8 महीने में 1 हजार करोड़ रुपये के सोने की तस्करी कर चुका है। यही वजह है कि इस सिंडिकेट के ख़िलाफ़ डीईआरआई ने कोफ़ेपोसा यानि कंजर्वेशन ऑफ फ़ॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ़ स्मगलिंग एक्टिविटी एक्ट के तहत कार्रवाई की इजाजत ली है।
तीन टन सोना भेज चुका है गैंग
दरअसल, डीआरआई की मुंबई यूनिट ने 28 मार्च को डोंगरी इलाक़े से दो वाहनों में लाई जा रही सोने की 185 किलो की खेप पकड़ी। यह खेप ब्रास मेटल की आड़ में काले रंग की पेंटिंग कर डिस्क की शक्ल में रखा गयी थी। इस मामले में दो लोगों - अब्दुल अहद शेख़ और शोएब जोरोदर वाला को हिरासत में लिया गया है।
दोनों से पूछताछ शुरू हुई तो जानकारी मिली कि डीआरआई के हत्थे गोल्ड स्मगलरों का ऐसा सिंडीकेट चढ़ा है जिसने पिछले तीन साल में 3000 किलो सोने की तस्करी की है। केवल पिछले साल जुलाई से इस साल मार्च तक ही यह गैंग तीन टन सोने की तस्करी कर चुका था जिसकी कीमत करीब 1 हज़ार करोड़ रुपये है।
इस तरह छिपाया जाता है सोना
डीआरआई की जाँच में जानकारी मिली कि सोना लाने के लिए जान-बूझकर गुजरात के मुंद्रा पोर्ट को चुना जाता है, दरअसल मुंद्रा पोर्ट पर मेटल स्क्रैप की बहुत बड़ी खेप का आयात होता है। अधिकतर स्क्रैप काले रंग में होते हैं और कस्टम की आंखों में धूल झोंकने के लिए यह सबसे आसान रंग है। सोने की खेप की ऊपरी परत को काले पेंट से रंग दिया जाता है और फिर उसको मेटल स्क्रैप की खेप के साथ गुजरात भेज दिया जाता है और उसके बाद उसे अलग कर मुंबई के बाज़ारों में बेच दिया जाता है। तस्करी कर लाए गए सोने के सबसे बड़े ख़रीददार ज्वैलर्स ही हैं।
डीआरआई सूत्रों के मुताबिक़, अब तक इस मामले में 12 लोग गिरफ़्तार हो चुके हैं लेकिन तीन लोग अभी भी फ़रार हैं। बल्कि उनमें से दो लोगों के पास 90 किलो सेना भी है, जो हो सकता है देश के अंदर कहीं बेचा जा रहा हो और सरकार को फिर लाखों रुपये के राजस्व का चूना लग रहा हो। फिलहाल डीआरआई के मुताबिक़, इस सिंडिकेट की सबसे अहम कड़ी है केरल मूल का निवासी निसार। वैसे तो निसार दुबई और अमेरिका में रहकर अपना कारोबार करने का बहाना करता है लेकिन डीआरआई के मुताबिक़, निसार ही इतने बड़े सिंडिकेट का सरगना था। वह दुबई में रहकर ना केवल सोने की खेप को मेटल स्क्रैप का रूप देने की भूमिका निभाता था बल्कि इस खेप के साथ वह गुजरात के जामनगर पहुँच जाता था, जहाँ मेटल स्क्रैप और सोने को अलग कर लिया जाता था और सोने की खेप मुंबई पहुँचा दी जाती थी। मुंबई में सिंडिकेट का दूसरा अहम किरदार हैप्पी अरविंद कुमार धाकड़ था जो इस तरह की खेप का मुख्य रिसीवर है।
निसार
हैप्पी अरविंद कुमार धाकड़
डीआरआई सूत्रों के मुताबिक़, जाँच में पता लगा कि निसार को दुबई में सोने की खेप एक पाकिस्तानी नागरिक दिया करता था। और हो सकता है कि यह भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए किसी बड़ी साज़िश का हिस्सा हो।
फिलहाल, डीआरआई ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सक्षम समिति से इस सिंडिकेट के ख़िलाफ़ कोफेपोसा के तहत मामला चलाने की अनुमति तो ले ली है ताकि मामले की तह तक जाया जा सके। डीआरआई चाहती है कि केवल यही नहीं बल्कि देश में हो रही गोल्ड तस्करी के मामलों में तह तक जाया जाए।
कभी फ़िल्मों में आने वाली पसंदीदा क्राइम स्टोरी रह चुकी गोल्ड तस्करी भले ही अब अख़बार के अंदर वाले पन्ने की ख़बर बन कर रह गई हो लेकिन डीआरआई की जाँच में हो रहे ख़ुलासे इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि सोने की तस्करी का मामला काफ़ी गंभीर है।
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