क्या यह सच है कि जवाहरलाल नेहरू भारतीयों को "आलसी" मानते थे? आइए देखें कि नेहरू ने 1959 के अपने संबोधन में क्या कहा था।
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भारत में कड़ी मेहनत करने की आदत नहीं रही है। यह हमारी गलती नहीं है, कभी-कभी ऐसी आदतें बन जाती हैं। लेकिन सच तो यह है कि हम यूरोपीय, जापानी, चीनी, रूसी या अमेरिकियों जितनी मेहनत नहीं करते हैं। मत करो। सोचिए कि क्या वे देश किसी जादू के कारण विकसित हुए या वे कड़ी मेहनत और बुद्धिमत्ता के कारण विकसित हुए।
-जवाहर लाल नेहरू, प्रथम प्रधानमंत्री, 15 अगस्त 1959 सोर्सः नेहरू आर्काइव्स
पीएम मोदी ने सोमवार को इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीयों के 'आलसी' होने के बारे में नेहरू की तरह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी वैसा ही मानती थीं। पीएम मोदी ने तंज कसते हुए कहा, ''आज कांग्रेस के लोगों को देखकर ऐसा लगता है कि इंदिरा गांधी देश की जनता का सही आकलन नहीं कर पाती थीं लेकिन कांग्रेस का बिल्कुल सही आकलन करती थीं।''
दरअसल पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने 1974 में भारतीयों के "संतुष्ट" और "पराजयवादी रवैये" के बारे में बात की थी। दरअसल, इंदिरा गांधी ने कहा था- “दुर्भाग्य से, यह हमारी आदत बन गई है कि जब कोई काम ख़त्म हो जाता है, तो हम लापरवाह हो जाते हैं। जब कोई कठिनाई सामने आती है तो हम आशा खो देते हैं। कभी-कभी ऐसा महसूस होता है जैसे पूरे देश ने पराजयवादी रवैया अपना लिया है, लेकिन आशा छोड़ देने से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।''
भारतीय चेतना के अभिभावक पंडित नेहरू क्या भारतीयों को आलसी मानते थे?
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 6, 2024
कल लोकतंत्र के मंदिर संसद में प्रधानमंत्री मोदी जी ने ठीक यही आरोप पं नेहरू पर लगाया।
क्या इसमें जरा सी भी सच्चाई है?
कुछ भी सोचने से पहले पं नेहरू का वह भाषण पढ़ और सुन लीजिए। यहीं से मोदी जी कोट कर रहे… pic.twitter.com/C0ECaSupn0
The Prime Minister was at his nonsensical worst in the Lok Sabha yesterday and undoubtedly will stage a repeat performance in the Rajya Sabha today. He suffers from deep insecurities and complexes which makes him attack Nehru not politically, but personally in a vicious manner.…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 6, 2024
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