कई तरह के विवादों के घेरे में रहे और इसके राजनीतिक इस्तेमाल के लिए बदनाम केंद्रीय जाँच ब्यूरो से लोगों का विश्वास तेज़ी से ख़त्म हो रहा है। यह इस हद तक जा  पहुँचा है कि लोग इससे अपने मामलों की जाँच करवाने का विरोध कर रहे हैं। ताज़ा उदाहरण में पत्रकार गौरी लंकेश और कम्युनिस्ट नेता गोविंद पनसारे के रिश्तेदारों ने खुल कर कहा है कि वे सीबीआई जाँच का विरोध करेंगे। तक़रीबन तीन साल पहले हुई इन हत्याकांडों में अब तक कोई ठोस जाँच नहीं हुई है।गौरी लंकेश की बहन कविता और पनसारे की पुत्रवधू मेघा ने सीबीआई जाँच का विरोध करते हुए कहा है कि इन मामलों की जाँच विशेष जाँच दल कर रहा है और वही करे।सीबीआई नहीं, एसआईटीचिंतक एमएम कलबुर्गी, नरेंद्र दाभोलकर, पत्रकार लंकेश और कम्युनिस्ट नेता पनसारे की हत्या कऱीब तीन साल पहले अलग-अलग वारदात में हुई। आरोप है कि कट्टर हिन्दूवादी संगठनों से जुड़े लोगों ने इस वारदात को अंजाम दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों कहा कि इन चारों मामलों की जाँच सीबीआई को सौंप दी जाए। कविता लंकेश ने इसका विरोध करते हुए कहा, 'कर्नाटक पुलिस की विशेष जाँच दल ने इन चारों हत्याकांडों के पीछे की साजिश का पता लगा लिया है। हम चाहते हैं कि वही जाँच पूरी करे और मामला सीबीआई के हवाले न किया जाए।' मेघा पनसारे ने कहा, 'हम अपने वकीलों की राय ले रहे हैं। पर हम मामला सीबीआई को सौंपे जाने का विरोध करेंगे।'

न्याय की गुहार लगा रहे लोग यदि खुले आम कहते हैं कि वे सीबीआई जाँच का विरोध करेंगे तो साफ़ है कि उनका भरोसा इस एजेंसी पर नहीं है। पहले भी विवादों के केंद्र में रहे सीबीआई की गिरती साख का यह ताज़ा उदाहरण है।