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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले : केंद्र के विरोध करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत

प्रशांत भूषण मामले के बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दे जोरों से उठा है। इस साल जनवरी से लेकर अब तक 10 मामले सुप्रीम कोर्ट  में दाखिल किए गए हैं, जिनमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ी याचिकाएं दायर की गई हैं। इन सभी मामलों में देखा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिन मामलों में याचिकाकर्ता को राहत दी है, उन मामलों में सरकार की ओर से पेश वकील ने भी रियायत देने या मामला खारिज करने की गुजारिश की है। लेकिन जिन मामलों में सरकारी वकील या प्रतिनिधि ने इसका विरोध किया है, उनमें किसी तरह की राहत नहीं दी गई है।

अर्णब गोस्वामी का मामला

इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर में इस पर विस्तृत जानकारी दी है। इंडियन एक्सप्रेस की इस ख़बर में कहा गया है कि 'रिपब्लिक टीवी' के संपादक अर्णब गोस्वामी ने एक याचिका दायर कर दरख़्वास्त की कि उन याचिकाओं को खारिज कर दी जाए जो उनके 21 अप्रैल के शो से जुड़े हुए हैं। उस शो में उन्होंने महाराष्ट्र के पालनगर में दो साधुओं की पीट-पीट कर हत्या किए जाने के मामले में सोनिया गांधी पर सवाल उठाए थे। अदालत ने 19 मई को दिए फ़ैसले में एक को छोड़ सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।
इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने 25 जून को पत्रकार अमीश देवगन के ख़िलाफ़ दायर उस याचिका पर रोक लगा दी, जिसमें अपने शो में लोगों की धार्मिक भावनायें आहत करने का आरोप उन पर लगाया गया था।
अर्णब गोस्वामी और अमीष देवगन, दोनों ही मामलों में सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने एफ़आईआर रद्द कर देने की माँग की थी।

नूपुर शर्मा का मामला

इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार नूपुर शर्मा के ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल पुलिस की कई याचिकाओं पर रोक लगा दी और उसके बाद किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने को कहा। इस मामले में केंद्र सरकार को एक पार्टी बनाया गया था, लेकिन अदालत ने बग़ैर सुनवाई के पहले ही दिन उस पर रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ पर हिमाचल प्रदेश में लगाए गए राजद्रोह के मामले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। बीजेपी नेता श्याम कुमारसैन ने विनोद दुआ पर राजद्रोह का आरोप लगाया है।

6 मामलों में राहत नहीं

इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि दूसरे 6 मामलों में जहाँ केंद्र सरकार ने आपत्ति की, सुप्रीम कोर्ट ने किसी तरह की राहत नहीं दी। कांग्रेस नेता पंकज पूनिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में दायर याचिकाओं में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

शरजील इमाम

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम के ख़िलाफ़ असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मणिपुर में ‘हेट स्पीच’ का आरोप लगाते हुए एफ़आईआर दर्ज कराए गए। इमाम ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी कि उससे जुड़े ये सारे मामले दिल्ली ट्रांसफर कर दिए जाएं। अब तक इस पर कोई फ़ैसला नहीं हुआ है।  
उत्तर प्रदेश के डॉक्टर कफ़ील ख़ान और उनकी माँ नुज़हत परवीन ने ख़ान के ख़िलाफ याचिका को खारिज करने की अपील सुप्रीम कोर्ट से 18 मार्च को की। सर्वोच्च अदालत ने उनसे कहा कि वे इसके लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर करें।
बच्चों के इस मशहूर डॉक्टर पर सीएए के ख़िलाफ़ उत्तेजक भाषण देने का आरोप लगाते हुए नैशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत मामला लगा दिया गया।
शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर शिकायत की पुलिस ने धरना स्थल पर लगी संरचना को ज़बरन हटा दिया और तोड़ दिया। इस पर अब तक सुनवाई नहीं हुई है।
जम्मू-कश्मीर में संचार के सभी साधनों पर रोक लगाने के सरकार के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात तो कही, पर राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इस मामले में कुछ नहीं कहा। अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर विचार करते हुए अदालत को राज्य में आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर भी विचार करना चाहिए।
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क़मर वहीद नक़वी
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