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अपनी आक्रामक रणनीति और संसाधनों के दम पर पिछले कुछ सालों में ही टेलीकॉम मार्केट में विरोधियों के लिए सिरदर्द बन चुकी रिलायंस जियो को किसान आंदोलन के कारण झटका लगा है। किसानों ने अपने आंदोलन के दौरान इस बात की अपील लोगों से की है कि वे अंबानी-अडानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करें।
इसके तहत रिलायंस के पेट्रोल पंप से तेल न डलवाने और जियो सिम को पोर्ट करवाकर कोई और टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर की सेवाएं लेने की अपील की जा रही है। इसके अलावा मॉल, शॉपिंग काम्प्लेक्स में मिलने वाले अडानी-अंबानी के सारे प्रोडक्ट्स का भी बहिष्कार करने की अपील किसानों ने की है।
सोशल मीडिया पर #BoycottJio के साथ ही लोग लिख रहे हैं कि वे किसानों के साथ खड़े हैं।
#BoycottJio
— Siddharth Sachan (@Sid4sachan) December 10, 2020
Stand with the Farmers! ✊🏾#BoycottJio#BoycottAmbaniAdani#IStandWithFarmers pic.twitter.com/ArrYiHv9ul
ट्राई को लिखे खत में रिलायंस जियो ने कहा है कि उसे बड़ी संख्या में अपने नंबर्स को पोर्ट कराने वाली रिक्वेस्ट मिल रही हैं और इनमें सब्सक्राइबर इसी वजह (कृषि क़ानूनों से फ़ायदा) को एकमात्र कारण बता रहे हैं जबकि उन्हें हमारी सेवाओं से कोई दिक्कत नहीं है। यह ख़त 11 दिसंबर को लिखा गया है।
रिलायंस की ओर से इससे पहले 28 सितंबर, 2020 को भी ट्राई को खत लिखा गया था और उसमें भी एयरटेल और वीआई के द्वारा उसके ख़िलाफ़ कैंपेन चलाए जाने की शिकायत की गई थी। उन दिनों भी हरियाणा-पंजाब में किसान आंदोलन जोरों पर था।
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक़, फ़रीदाबाद, बहादुरगढ़, चंडीगढ़, फ़िरोज़पुर और एनसीआर के अन्य इलाक़ों और पंजाब में ऐसे कई सब्सक्राइबर हैं, जो जियो के सिम को पोर्ट करा रहे हैं।
टेलीकॉम मार्केट में जबरदस्त कंपटीशन है और जियो से मिल रही कड़ी टक्कर के बाद ही वोडाफ़ोन और आइडिया को हाथ मिलाना पड़ा था। इन दोनों के विलय के बाद नई कंपनी का नाम वीआई है।
जियो ने आगे कहा है कि एयरटेल और वीआई अपने कर्मचारियों, एजेंट्स और रिटेलर के जरिये उसके ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने वाला कैंपेन चला रहे हैं।
सितंबर अंत में जियो के पास 40 करोड़ से ज़्यादा जबकि एयरटेलर के पास 29 करोड़ से ज़्यादा और वीआई के पास 27 करोड़ से ज़्यादा सब्सक्राइबर हैं।
लेकिन भारत एयरटेल और वीआई ने रिलायंस जियो के आरोपों को खारिज किया है। एयरटेल ने कहा है कि उसे मीडिया के जरिये इस बात की जानकारी मिली है कि जियो ने ट्राई से उसकी शिकायत की है। कंपनी ने कहा है कि जियो की शिकायत रद्द किए जाने लायक ही है।
यही बात वीआई ने भी कही है और कहा है कि वह सिद्धांतों के साथ कारोबार करने में भरोसा रखती है। वीआई ने कहा है कि उसकी छवि को ख़राब करने के लिए ही इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं और वह इन आरोपों को सिरे से खारिज करती है।
मुकेश अंबानी का सपना जियो को टेलीकॉम मार्केट का बड़ा प्लेयर बनाने का है। इस काम में वे तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे और उनकी वजह से वीआई और भारती एयरटेल को सब्सक्राइबर्स का खासा नुक़सान हो रहा था। लेकिन किसान आंदोलन ने मुकेश अंबानी के क़दम थाम लिए हैं और अब उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि कैसे इसकी काट निकाली जाए।
क्योंकि किसान आंदोलन का जो ताज़ा सूरत-ए-हाल है, उसमें ऐसा नहीं लगता कि किसान या सरकार में से कोई पक्ष पीछे हटेगा। ऐसे में तब तक रिलायंस जियो की मुश्किलों में इज़ाफा होता रहेगा, यह तय है।
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