किसान आंदोलन के बाद से ही हवा थी कि हरियाणा में कांग्रेस आ रही है। कुछ विश्लेषकों का यही बात कहने का इतर अंदाज़ था। वे कहते थे कि कांग्रेस आ नहीं रही है, बीजेपी जा रही है। हालाँकि दोनों अभिव्यक्ति में एक ही अर्थ समाहित है लेकिन दूसरी अभिव्यक्ति के अंतर्निहित अर्थ थोड़े भिन्न हैं जो उन लोगों को सुखानुभूति देता था जो बीजेपी के धुर विरोधी थे; बीजेपी की नीतियों से दुःखी थे। बीजेपी को राज्य से 'भगाने' की अभिव्यक्ति उन्हें सुख का एहसास कराती थी। हालात ऐसे बन भी गए थे कि बीजेपी का सत्ता में लौटना मुमकिन नहीं है। बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा था क्योंकि उनका अपना सर्वे सिर्फ 27 सीटों पर विजय दिखा रहा था। नब्बे सीटों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 46 विधायकों जरूरत है। सर्वे के हिसाब से पार्टी सत्ता से 19 सीटों से दूर थी।
हरियाणा: हुड्डा की हठधर्मिता से सैलजा बनी 'बेचारी', कांग्रेस हारी
- विश्लेषण
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- उमेश जोशी
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- 13 Oct, 2024

उमेश जोशी
हरियाणा विधानसभा चुनाव को जीतते जीतते कैसे हार गई कांग्रेस? जानिए, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आख़िर कुमारी सैलजा के साथ ऐसा क्या किया कि बीजेपी बाजी मार गई।
2019 के चुनाव में भी बीजेपी को बहुमत नहीं मिला था लेकिन उसकी भरपाई 10 सीटें जीतकर जेजेपी ने पूरी कर दी थी और पार्टी की सरकार बन गई थी। इस बार नैया पार लगने की कोई संभावना नहीं थी क्योंकि 19 सीटों का फासला भरना नामुमकिन था। कांग्रेस की मजबूत स्थिति के कारण अन्य दलों को अधिक सीटें मिलने की गुंजाइश खत्म हो गई थी। इन हालात में नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरना स्वाभाविक था। चुनाव के दौरान हालात अचानक बदल गए। हालात के चक्र की धुरी थी हरियाणा में कांग्रेस की कद्दावर नेता कुमारी सैलजा, जो अनुसूचित जाति की राजनीति का सशक्त चेहरा भी हैं।