इस समय केरल के पलक्कड़ में आरएसएस की बैठक चल रही है। मोहन भागवत, दत्तात्रेय होसबोले और बीएल संतोष सहित आरएसएस के तमाम बड़े पदाधिकारी इस बैठक में मौजूद हैं। भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा भी उपस्थित हैं। जेपी नड्डा ने लोकसभा चुनाव के दौरान ऐलान किया था कि भारतीय जनता पार्टी के पास एक बड़ा संगठन है। वह चुनाव लड़ने में समर्थ है। उसे आरएसएस के सहयोग की जरूरत नहीं है। उस समय नड्डा के इस बयान के कई मायने निकाले गए थे। कतिपय विश्लेषकों का मानना था कि आरएसएस को हैसियत बताने के लिए नरेंद्र मोदी के इशारे पर यह बयान दिया गया है। इसीलिए आरएसएस की बैठक में नड्डा की उपस्थिति की चर्चा हो रही है।

आरएसएस ने अनायास ही तमाम किन्तु-परन्तु के साथ जाति जनगणना का समर्थन नहीं किया है। उसके पीछे नेता विपक्ष राहुल गांधी का दबाव है। हकीकत यह है कि आरएसएस और भाजपा आज अगर सबसे ज्यादा किसी से परेशान हैं तो वो हैं राहुल गांधी। दलितों और आदिवासियों को अपनी साम्प्रदायिक कहानियां सुनाकर आरएसएस ने जिस तरह उन्हें प्रदूषित किया था, उसका मुकाबला राहुल गांधी ने किया। दलित-आदिवासी राहुल की बात को समझ रहे हैं। संघ इसीलिए जाति जनगणना पर उछलकूद कर रहा है। राजनीतिक विश्लेषक रविकान्त को पढ़िएः
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।