उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की हार के साथ ही समाजवादी आंदोलन का एक युग समाप्त होता दिखाई देता है। ये दोनों ही पार्टियाँ अपनी पूर्ववर्ती समाजवाद समर्थक पार्टियों के गर्भ से पैदा हुई थीं और देश के पिछड़ा वर्ग आंदोलन का हरावल दस्ता बन कर उभरी थीं। देश भर में सामाजिक-आर्थिक बदलाव के व्यापक दर्शन से आरंभ होकर ये पार्टियाँ अंतत: परिवारवाद की दहलीज पर दम तोड़ती दिखाई दे रही हैं।

मुलायम और लालू ने समाजवाद से जो यात्रा शुरू की थी वह जातिवाद की टूटी-फूटी सड़क से होकर परिवारवाद पर आकर ख़त्म होती दिखाई दे रही है। फिलहाल जिस तपती ज़मीन पर दोनों पार्टियाँ पहुँच गई हैं, वहाँ से आगे का रास्ता तो है लेकिन आसान नहीं है। क्या आखिलेश और तेजस्वी अपनी ज़मीन को बचाने के लिए उतनी मेहनत कर सकते हैं जितनी मेहनत मुलायम और लालू करते थे।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक