इन दिनों पश्चिम बंगाल प्रतिरोध की कई आवाजों से जूझ रहा है। नौ अगस्त को कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में हुए युवा डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की ख़बर ने पूरे प्रदेश को उबाल पर ला दिया है। लगातार लोग सड़कों पर हैं। अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं। इस विरोध के केंद्र में युवा हैं। इन युवाओं में अधिकतर छात्र हैं जिनकी पुलिस से छिटपुट झड़प की ख़बरें भी लगातार आ रही हैं। इन घटनाओं को देखते हुए एक देजा वू होता है। साल 2005-06-07 का कोलकाता, सिंगूर और नंदीग्राम याद आता है। इस दौरान लगभग तीन दशक पुरानी कम्युनिस्ट सरकार राज्य में थी और ममता सड़कों पर... तीन आंदोलन और तीन अलग-अलग मुद्दे।
नवान्न अभियान: बंगाल में तैयार हो रही है नई राजनैतिक ज़मीन?
- विश्लेषण
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- 27 Aug, 2024

आरजी कर मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर की दुष्कर्म-हत्या के मामले को लेकर बवाल मचा है। जिस तरह के प्रदर्शन से ममता सत्ता में आई थीं, अब उनके ख़िलाफ़ भी वैसा ही माहौल है। तो क्या यह राज्य में बड़े बदलाव के संकेत हैं?
जब ममता प्रतिरोध में थीं...
2005 में ममता तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य के औद्योगिक विकास परियोजना के विरोध में थीं। इंडोनेशिया के सलीम ग्रुप ने पश्चिम बंगाल में निवेश की बात की थी। ममता बनर्जी का सरकार पर आरोप था कि औद्योगिक विकास के झांसे में किसानों की ज़मीन जबरन छीनी जा रही है। ममता बनर्जी और उनके साथियों ने तय किया कि वे इसका विरोध करेंगे। तेज बारिश में भी ममता सलीम ग्रुप के सीईओ बेनी सैंटोसो और सरकार के खिलाफ कोलकाता की सड़कों पर बनी रहीं।