इस देश में मुसलमानों की कोई भी शिकायत और मुसलमानों की कोई भी न्याय की माँग राष्ट्रविरोधी, देशद्रोही है। देश की सरकार इन न्याय चाहने वाले मुसलमानों की आवाज़ों को चुप कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। उमर खालिद, खालिद सैफी और शरजील इमाम से शुरू हुआ यह सिलसिला अब जुबैर अहमद और नदीम खान तक आ पहुंचा है। जाने-माने स्तंभकार और विचारक अपूर्वानंद का यह लेख इस मुद्दे पर उन बहुसंख्यकों की समझ को और साफ करेगा, जो इस देश में लोकतंत्र का गला घोंटते हुए नहीं देख सकतेः