आप किस स्त्री रूपा देवी की पूजा अर्चना में उपवास किये खड़े रहते हैं? यदि देवी माता स्त्री जैसी स्त्री है तो उसका नौ दिन ही पूजा पाठ क्यों हो, ताजिन्दगी सम्मान क्यों नहीं?
स्त्री विमर्श के नाम पर पढ़ी लिखी स्त्रियाँ स्त्री की नयी दुनिया हमारे सामने लाती हैं तो हमें कुछ झूठा झूठा सा लगता है और अन्याय पूर्ण भी। गांव और शहरों में स्त्री विमर्श क्या अलग-अलग हैं?
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बयान दिया है कि 'भारत में लोकतंत्र कुछ ज़्यादा ही है'। ऐसे में जब किसान आंदोलन को कुचला जा रहा है, विरोध की आवाज़ दबाई जा रही है, यह कितना सही है?
देश में महिलाओं की हालत क्या है! कभी उन्नाव तो कभी हैदराबाद में दरिंदगी। एक घटना के बाद न्याय की माँग का शोर उठता है और फिर ऐसी ही दूसरी, तीसरी, चौथी… अनगिनत घटनाएँ।
हे दिवाली मइया! हम तुम्हारा जस मानेंगे कि तुम अपने प्रताप से हमारे तथाकथित आधुनिक होते जाते समाज को त्यौहारों की सीधी पटरी पर ले आओ। नहीं तो लोग यह देश छोड़कर विदेशी दिवाली मनाने के तमाम बहाने ले आयेंगे। 2019 में लिखी मैत्रेयी पुष्पा का लेख...
कौन से स्वार्थ उठ खड़े होते हैं कि लोग ख़ून ख़राबे पर उतर आते हैं? क्या वे ही ये लोग हैं जो आज के दिन ढफ ढोल बजाकर फागें गा रहे थे, क्या वे ही लोग जो हर एक दरबाजे पर जाकर फगुआ ले रहे थे?