मेरे ख्याल से न्यूक्लियर वॉर इज म्युचुअल सुसाइड। अगर लोग खुदकुश करना चाहते हैं तो उन्हें कोई नहीं रोक सकता है। लेकिन अक्ल की बात तो यही है कि जो सीमा बन चुकी हैं उन्हें मान लो और उन्हें अर्थहीन कर दो। मेरा ऐसा मानना है। यह कहना है पाकिस्तानी मूल के कनाडाई लेखक इश्तियाक अहमद का।