इसे भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक बताया जा रहा है। करीब 81.5 करोड़ भारतीयों का संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा लीक हो गया है और डार्क वेब पर सामने आया है। यह डेटा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के डेटाबेस से लीक हुआ है।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने शनिवार को दो महत्वपूर्ण कानूनों को मंजूरी दे दी। संसद के दोनों सदनों में इन्हें पास करने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था। ये हैं- दिल्ली सेवा कानूनन और डेटा प्रोटेक्शन कानून। ये दोनों कानून विवाद में हैं। विपक्ष ने तमाम सवाल खड़े किए थे लेकिन सरकार ने उनकी अनदेखी कर इन्हें लागू करवा दिया है। लेकिन इस मामले में सबसे ज्यादा विवाद दिल्ली सेवा बिल पर हुआ था।
केंद्र सरकार ने डेटा संरक्षण बिल को फिर से मंजूरी देते हुए इसे संसद से पास कराने में जुट गई है। लेकिन इस प्रस्तावित कानून में प्राइवेसी को लेकर जो चिन्ताएं जताई गईं थीं, वो आज भी बरकरार है। इस कानून के लागू होने के बाद हमारी प्राइवेसी पर तमाम तरह के खतरे मंडरा उठेंगे। जानिए पूरी बातः
सरकार ने आज फिर से वाट्सऐप से कहा है कि वह नई प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तों को हटा दे। सरकार के इस फ़ैसले से फिर इस पर सवाल खड़े होते हैं कि वाट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तों के अपडेट से क्या आपके डेटा की सुरक्षा ख़तरे में है?
वाट्सऐप की नई प्रिवेसी पॉलिसी और शर्तों के अपडेट से क्या आपके डेटा की सुरक्षा ख़तरे में है? इसको लेकर आरोप कितने गंभीर हैं इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि कंपनी ने अख़बारों में फुल पेज का विज्ञापन जारी किया है।
मोबाइल डेटा यानी यूज़र की जानकारी को लेकर दुनिया की दो दिग्गज कंपनियाँ फ़ेसबुक और एप्पल आमने-सामने हैं। वही डेटा जिस पर हममें से अधिकतर लोग ध्यान भी नहीं देते।