हर चुनाव में दलितों और आदिवासी तबकों को भाजपा और आरएसएस के संदर्भ में संदिग्ध नजरों से देखा जाता है। यानी यह माना जाता है कि दलित या तो किसी दलित पार्टी को वोट देंगे या फिर वो भाजपा की ओर रुख करेंगे। लोकसभा चुनाव 2019 में ऐसा होते हुए देखा गया। यह आरोप आम है कि आरएसएस दलितों का इस्तेमाल करता है। हालांकि दलित चिन्तक प्रोफेसर रविकान्त बता रहे हैं कि इस बार दलित और आदिवासी हिन्दुत्ववादी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए बेकरार हैं। हालांकि चुनाव ज्यादा दूर नहीं है। दलितों के रुझान का नतीजा चंद महीने में आ जाएगा। पढ़िए यह विश्लेषणः