शिकारपुर के एसडीएम और सहायक निर्वाचन अधिकारी आशीष कुमार सिंह ने अनिल शर्मा को चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का नोटिस जारी किया है। उनसे 24 घंटे में इस मामले में सफाई मांगी गई है। लेकिन स्पष्टीकरण से सहमत न होते हुए एसडीएम ने मंत्री पुत्र के खिलाफ केस दर्ज करा दिया है।
बुलन्दशहर
— अरुण चन्द्रा 🇮🇳 (@vipchandra13) January 27, 2022
मंत्री अनिल शर्मा के बेटे का वीडियो वायरल
लोगों को 100-100 रुपये बांटने का है वीडियो
निर्वाचन आयोग ने वीडियो का लिया संज्ञान
मामले में एआरओ ने जारी किया नोटिस pic.twitter.com/6ixd76Tu2V
हालात बेहतर नहीं
ग्रामीण अंचलों में लड़ने वाले बीजेपी प्रत्याशी सबसे कड़े मुकाबले का सामना कर रहे हैं। उनका विरोध ज्यादा है। विरोध की वजह से उनके कार्यक्रमों में जनता नहीं आती तो वे आसपास के मजदूरों को दिहाड़ी पर लाते हैं।
बढ़ते विरोध के कारण बीजेपी प्रत्याशियों को घर-घर प्रचार करने में दिक्कत आ रही है। शामली में लिलोन गांव में तमाम लोगों ने अपने घरों के बाहर लिखकर लगा दिया कि यहां बीजेपी प्रत्याशी, नेता और कार्यकर्ताओं का आना मना है। ऐसा कई घरों में लिखा गया तो वहां पुलिस अधिकारी पहुंच गए। उन्होंने केस दर्ज करने की धमकी देकर उसे लिखे हुए को मिटवा दिया। लेकिन इसके बाद भी नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया।
#UttarPradesh #शामली के लीलोन गांव में भाजपा के विरोध का मामला
— ABI News Agency (@ABINewsAgency) January 25, 2022
प्रशासन हरकत में आया और दरवाजे पर लिखे स्लोगन मिटाने पहुंच और समझाया कि धारा 144 में आप एसा नहीं लिख सकते हैं और स्लोगन मिटाए।@dm_shamli @SpokespersonECI @ECISVEEP @ceoup @UPGovt pic.twitter.com/BEtgcXaBuF
बागपत की छपरौली सीट से लड़ रहे बीजेपी प्रत्याशी सहेंद्र सिंह को चुनाव प्रचार के दौरान गांव सिरसली में गंदी-गंदी गालियां दी गईं। बीजेपी प्रत्याशी ने इसमें रालोद प्रत्याशी डॉ अजय कुमार सहित सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। गांव वालों ने सहेंद्र सिंह से कहा था कि वे इस गांव में न घुसें। पड़ोस के गांव धनकोशिया में तमाम घरों के बाहर तख्ती लगी हुई है, जिन पर लिखा है कि बीजेपी प्रत्याशी का आना वर्जित है। पुलिस का कहना है कि वो ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
शामली जिले के चुनसा गांव में बीजेपी प्रत्याशी तेजेंद्र निर्वाल के खिलाफ उनके सामने गांव वालों ने नारे लगाकर गांव से बाहर जाने को कहा। इसी तरह मुजफ्फरनगर के रसूलपुर जाटान में बीजेपी प्रत्याशी उमेश मलिक का जबरदस्त विरोध हुआ।
जाटों को टिकट, जाटों का विरोध
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट विधायकों की भरमार है। बीजेपी ने उनमें से तमाम को फिर से टिकट दिया है। लेकिन बीजेपी का यह दांव कारगर नहीं रहा। क्योंकि गांवों में बीजेपी प्रत्याशियों का विरोध जाट ही कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कल जो बैठक जाट नेताओं के साथ की थी, उसका एक मकसद यह भी था कि गांवों में ऐसा माहौल हो कि बीजेपी प्रत्याशी ठीक से प्रचार तो कर सकें। लेकिन जिन जाट नेताओं को लग्जरी गाड़ियों से दिल्ली बुलाया गया था, वे यह भरोसा अमित शाह को नहीं दे सके कि वे इस विरोध को रुकवा देंगे।
उनका कहना था कि गांवों में पार्टीबाजी बहुत रहती है, इसलिए वे इसमें हाथ नहीं डाल सकते। अभी जो जनता कर रही है, उसे रोकने का मतलब होगा कि लोग उन नेताओं के खिलाफ हो जाएंगे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में बीजेपी चौतरफा मुश्किलों से घिर गई है। जनता का मूड और उसकी गतिविधि देखकर लग रहा है कि जैसे यहां रालोद और सपा के पक्ष में कोई लहर चल रही हो।
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