टेस्ला के सीईओ एलन मस्क अब दुनिया के सबसे अमीर आदमी हो चुके हैं। उन्होंने एमेज़ॉन के सीईओ जेफ़ बेजोस को पछाड़ दिया है। मतलब साफ़ है कि ऑनलाइन शॉपिंग से आगे का आइडिया बन चुकी है टेस्ला की बैटरी से चलने वाली कार।
अनिल अंबानी की कंपनियाँ फिर मुश्किल में हैं। एसबीआई ने उन कंपनियों के खातों को फ़्रॉड बताया है। अब जो एसबीआई ने कहा उससे अनिल अंबानी की कंपनियों के ख़िलाफ़ सीबीआई जाँच की संभावना भी बन सकती है।
बेरोज़गारी के जो नये आँकडे आये हैं वो और भी बड़े संकट की ओर इशारा कर रहे हैं। लॉकडाउन ख़त्म होने और अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के शुरुआती संकेत मिलने के बावजूद दिसंबर में बेरोज़गारी की दर पिछले छह महीनों में सबसे ऊपर दर्ज की गई।
क्या केंद्र सरकार विश्व हिन्दू परिषद जैसे उग्र हिन्दुत्ववादी संगठनों के दबाव में आकर बीफ़ निर्यात के क्षेत्र में मुसलमानों को निशाने पर ले रही है? क्या निर्यात किए जाने वाले बीफ़ पैकेट पर 'हलाल' नहीं लिखे जाने से मुसलमान निर्यातकों को मिलने वाला फ़ायदा नहीं मिलेगा?
क़र्ज़ देने वाले अनाधिकृत मोबाइल एप के चंगुल में फँस कर पाँच लोगों की आत्महत्या से डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर काम करने वाली माइक्रो-फ़ाइनेंस कंपनियों के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। सूक्ष्म क़र्ज़ प्रणाली और उनके कामकाज पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से तबाह भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। दिसंबर महीने में जीएसटी उगाही में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह एक लाख करोड़ रुपए के ऊपर पहुँच गई।
बहुत बुरा था 2020! लेकिन क्या इतना कहना काफी है? कतई नहीं। मौत के मुँह से वापस निकलने का साल था 2020। यूं नहीं समझ आता तो उन लोगों की सोचिये जो 2020 में कोरोना के शिकार हो गए।
2020 की ख़ासियत यह रही है कि इस साल जितना भी बुरा हुआ, उसका आरोप मढ़ने के लिए एक खलनायक मौजूद है। ख़ासकर आर्थिक मोर्चे पर जितनी भी दुर्गति दिख रही है उसके लिए।
ऐसे समय जब भारतीय अर्थव्यवस्था बदहाल है वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल 2021 में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 तक पाँचवें और 2030 तक तीसरे स्थान पर पहुँच जाएगी।
यह अजीब विडंबना है कि भारत में पेट्रोल और डीजल क़ीमत ऐसे समय में रिकॉर्ड ऊँचाई पर है, जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम स्तर पर है।
मशहूर ब्रिटिश पत्रिका ‘द इकाॅनमिस्ट’ में पिछले हफ़्ते आवरण कथा थी- ‘विल इन्फ्लेशन रिटर्न?’, यानी क्या मुद्रास्फीति लौटेगी? अर्थशास्त्रियों की यह सबसे बड़ी चिंता है कि मुद्रास्फीति यानी महंगाई का असर वहाँ के बाजारों से ग़ायब हो चुका है।
पतंजलि, डाबर जैसी कंपनियों के जिस शहद को शुद्ध कहकर बेचा जा रहा है उसपर गंभीर सवाल उठे हैं। सेंटर फ़ोर साइंस एनवायरमेंट यानी सीएसई ने कहा है कि प्रमुख ब्रांडों के शहद में शुगर सिरप मिलाया हुआ पाया गया है।
भारत की जीडीपी में इस तिमाही साढ़े सात परसेंट की गिरावट दर्ज की गई है। भारत सरकार ने जुलाई से सितंबर की तिमाही का जीडीपी का आँकड़ा जारी किया है। इसके साथ ही यह पुष्ट हो गया कि भारत आर्थिक मंदी की चपेट में है।