दिल्ली में प्रदूषण के कारण बने बेहद ख़राब हालात को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार ने अपना हलफ़नामा अदालत के सामने रखा है। इसमें सरकार ने कहा है कि वह वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लॉकडाउन लगाने को तैयार है। बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद प्रदूषण बढ़ गया है। दिवाली पर जमकर पटाखे फोड़े गए जबकि इस पर रोक लगाई गई थी। दिवाली के बाद से दिल्ली और एनसीआर के शहरों में जबरदस्त धुएं का गुबार दिख रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 24 घंटे के भीतर पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अफ़सरों की बैठक बुलाए और प्रदूषण को रोकने के लिए उठाए जाने वाले क़दम और उन पर अमल के लिए योजना तैयार करे। अदालत ने कहा कि मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि पराली जलाने से हर साल औसत सिर्फ़ 10 फ़ीसदी प्रदूषण होता है।
दिल्ली सरकार ने हलफ़नामे में सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा है कि लॉकडाउन का सीमित असर होगा और इस तरह के प्रतिबंध दिल्ली के आस-पास के शहरों यानी एनसीआर में भी लगाए जाने की ज़रूरत है। हलफ़नामे में दिल्ली सरकार ने प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए उठाए गए क़दमों के बारे में भी जानकारी दी है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के स्कूल एक हफ़्ते के लिए बंद करने, निर्माण गतिविधियों को बंद करने और सरकारी कार्यालयों में वर्क फ्रॉम होम का आदेश दिया था।
17 साल के एक छात्र आदित्य दुबे ने दिल्ली में प्रदूषण को लेकर याचिका दायर की थी। सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की स्पेशल बेंच ने याचिका पर सुनवाई की।
सीजेआई रमना ने पिछली सुनवाई में कहा था, “हमने देखा है कि हालात कितने ख़राब हैं। हम अपने घर के अंदर भी मास्क पहन रहे हैं।” सीजेआई ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह दिल्ली में हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए इमरजेंसी प्लान लेकर आए। लेकिन केंद्र सरकार ने इसका सारा दोष पंजाब में जल रही पराली के मत्थे जड़ दिया था।
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