ओडिशा ट्रेन हादसे के लिए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज रविवार को 'इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव' को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन हकीकत ये है कि दक्षिण पश्चिम रेलवे ज़ोन के मुख्य परिचालन प्रबंधक ने 'सिस्टम में गंभीर खामियों' के बारे में महीनों पहले चेतावनी दी थी। उन्होंने फरवरी में इंटरलॉकिंग सिस्टम की नाकामी के बारे में चिंता जताई थी और सुरक्षा उपायों की जरूरत पर रोशनी डाली थी।
इंडिया टुडे ने आज रविवार को इस संबंध में वो पत्र भी प्रकाशित किया है, जिसमें कई महीने पहले इलेक्टॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के फेल होने के बारे में लिखा गया था। इस पत्र में दक्षिण पश्चिम रेलवे ज़ोन के प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक ने 9 फरवरी को एक एक्सप्रेस ट्रेन के परिचालन के दौरान सिग्नल फेल होने पर चिंता जताई थी। वो हादसा एक लोको पायलट की सतर्कता के कारण टल गया था।
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इंडिया टुडे के मुताबिक उन्होंने लिखा, "8 फरवरी 2023 को लगभग शाम 5.45 बजे एक बहुत ही गंभीर असामान्य घटना घटी, जिसमें अप ट्रेन नंबर: 12649 संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, रोड 1 से चली। उसके एडवांस स्टार्टर के लिए पेपर लाइन क्लियर (PLCT) थी। लेकिन बीपीएसी (ब्लॉक प्रूविंग एक्सल काउंटर) फेल होने के कारण स्टार्टर ठीक से काम नहीं कर रहा था, इस प्रकार, 5.45 बजे ट्रेन संख्या: 12649 संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के लोको-पायलट ने प्वाइंट 65 ए से पहले ट्रेन को रोक दिया था। क्योंकि उसने उस दौरान प्वॉइंट को डाउन मेन लाइन (गलत लाइन) पर सेट किया पाया था, जबकि पीएलसीटी के अनुसार, ट्रेन को मेन लाइन से गुजरना था।"
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'सिस्टम में गंभीर खामियां'
इंडिया टुडे के मुताबिक उन्होंने कहा कि घटना से संकेत मिलता है कि "सिस्टम में गंभीर खामियां हैं जहां एसएमएस पैनल पर रूट के सही दिखने के साथ सिग्नल पर ट्रेन शुरू होने के बाद डिस्पैच का मार्ग बदल जाता है। यह इंटरलॉकिंग के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।"उन्होंने लिखा कि "इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई शुरू की जा सकती है और दक्षिण पश्चिम रेलवे क्षेत्र में रेलवे स्टेशनों की सिग्नलिंग प्रणाली में मौजूद खामियों को ठीक करने के लिए सुधार के कदम तुरंत उठाए जा सकते हैं। विस्तृत जांच के परिणाम और सुधार के लिए किए गए उपाय" स्टेशन मास्टरों, टीआई और ट्रैफिक अधिकारियों को उनकी ओर से प्रशिक्षण, सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए शिक्षित करने के लिए प्रणाली को साझा किया जा सकता है।"
'सिग्नल सिस्टम ठीक करो: अधिकारी ने यह भी चेतावनी दी कि यदि सिग्नल रखरखाव प्रणाली की निगरानी नहीं की गई और उसे तुरंत ठीक नहीं किया गया, तो इससे बालासोर जैसी घटनाओं की "पुनरावृत्ति हो सकती है और उससे भी गंभीर दुर्घटनाएं" हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि "यह समझा जाता है कि स्टेशन पर उपलब्ध सिग्नल अनुरक्षक विफलताओं को सुधारने की कोशिश कर रहा था। उक्त ईएसएम ने ट्रेन के प्रेषण की प्रतीक्षा करने का विकल्प चुना होगा, क्योंकि यह पहले से ही पीएलसीटी के साथ जारी किया गया था, और फिर सुधारने का प्रयास किया गया।"
इसमें कहा गया है कि "मौजूदा नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार, ESM स्टेशन मास्टर को डिस्कनेक्शन मेमो देगा, जो इसे स्वीकार करेगा और फिर किसी भी विफलता पर अनुमति देगा। इस मामले में, ESM द्वारा ऐसी प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया था? इसका पालन किया गया होता, तो एसएम सतर्क होता और नॉन-इंटरलॉक्ड वर्किंग के लिए अपनाई जाने वाली प्रथा का पालन करता, जैसे पॉइंट्स को क्लैम्पिंग करना, ट्रेनों को चलाना आदि।"
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बहरहाल, रेल मंत्री ने कहा - "रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने मामले की जांच की है और जांच रिपोर्ट आने दीजिए। लेकिन हमने घटना के कारणों और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली है... यह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुआ। अभी हमारा फोकस रेल ट्रैफिक बहाली पर है।"
बता दें कि दो यात्री ट्रेनें - बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की टक्कर की वजह से यह हादसा हुआ था। ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम को हुए इस हादसे में कम 288 लोगों की मौत हो गई और 1000 से अधिक घायल हो गए।
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