भारत में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश ने यह कह कह सबको चौंका दिया कि यदि उसका कोई नागरिक भारत में ग़ैरक़ानून ढंग से रह रहा है तो वह उसे वापस लेने को तैयार है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.के. अब्दुल मोमिन ने रविवार को कहा कि यदि कोई बांग्लादेशी अवैध रूप से भारत में रह रहा है तो ढाका उसे देश में आने देगा, यह उसका अधिकार है।
उन्होंने कहा, ‘भारत ने हमसे कह रखा है कि एनआरसी उसका आंतरिक मामला है और इसका कोई असर बांग्लादेश पर नहीं पड़ेगा।’ बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा :
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यदि बांग्लादेशी भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं तो ऐसे तमाम लोगों की सूची भारत हमें दे। हम ऐसे हर आदमी को आने देंगे, क्योंकि अपने देश लौटना उसका अधिकार है। पर यदि कोई दूसरा बांग्लादेश में घुसने की कोशिश करेगा तो हम उसे वापस भेज देंगे।
ए.के. अब्दुल मोमिन, विदेश मंत्री, बांग्लादेश
अब्दुल मोमिन ने कहा कि भारत के साथ बांग्लादेश के बहुत ही मधुर रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ दिनों पहले भारत की अपनी यात्रा इसलिए टाल दी कि वे बहुत ही व्यस्त कार्यक्रमों में फँस गए थे और भारत के लिए समय नहीं निकाल पाए।
बता दें कि अब्दुल मोमिन के अलावा बांग्लादेश के गृह मंत्री असदउद्दीनजमां ख़ान ने भी अपनी भारत यात्रा टाल दी। जिस दिन भारत में राज्यसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंज़ूरी दी, ख़ान ने अपनी यात्रा टालने का एलान कर दिया। इसी तरह जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भी भारत यात्रा अंतिम समय में टाल दी गई।
नागरिकता संशोधन क़ानून के तहत यह प्रावधान है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014, तक आए हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकती है। पर इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है।
नैशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीज़न्स में असम में सभी नागरिकों को पंजीकृत किया गया है और उनसे नागरिक होने का प्रमाण माँगा गया है। लेकिन अंतिम सूची में 19 लाख लोग बाहर छूट गए, जिनमें लगभग 12 लाख हिन्दू हैं।
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