प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम को दिल्ली में इंडिया गेट पर 'कर्तव्य पथ' का उद्घाटन किया और नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया। राजपथ का नाम बदलकर अब कर्तव्य पथ कर दिया गया है। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक लगभग 101 एकड़ में फैले इस नए रूप में राजपथ के दोनों ओर लॉन शामिल हैं, जिसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है। कर्तव्य पथ के दोनों ओर आठ पुल बनाए गए हैं, ताकि पैदल चलने वालों को लॉन पर न चलना पड़े और पैदल मार्ग और पुलों का उपयोग कर सकें। इस बीच छह वेंडिंग जोन बनाए गए हैं, जहां 16 क्षेत्रीय फूड स्टॉल लगाए जाएंगे। इंडिया गेट का पूरा इलाका अब नया दिखाई देगा।
इंडिया गेट के बगल में ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को स्थापित किया गया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस 23 जनवरी के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था।
सेंट्रल विस्टा मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन भी बनाया जा रहा है। सेंट्रल विस्टा परियोजना को लेकर अच्छा-खासा विवाद हुआ था और कोरोना महामारी के बीच में भी इसका काम जारी रखा गया था। इस परियोजना के विरोध को लेकर अदालतों में भी कई याचिकाएं दायर की गई थीं।
विजय चौक से लेकर इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर लंबी सड़क जिसे राजपथ कहा जाता था, वह अब कर्तव्य पथ के नाम से जानी जाएगी। इसके बनने में लगभग 20 महीने का वक्त लगा है। गुरुवार को उद्घाटन के बाद ही इसे आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा।
यहां पर बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं। लेकिन बुनियादी सुविधाएं जैसे- सार्वजनिक शौचालय, पीने का पानी, पार्किंग की पर्याप्त जगह नहीं थी। अब कर्तव्य पथ पर नए बने सुंदर लैंडस्केप, लॉन, अतिरिक्त हरी भरी जगहें, नए सुविधा ब्लॉक, बेहतर साइनेज और वेंडिंग कियोस्क बनाए गए हैं। इसके अलावा नए अंडरपास, बेहतर पार्किंग और रात के लिए शानदार रोशनी की व्यवस्था की गई है।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, इस्तेमाल हुए पानी को रिसाइकिल करना, बारिश के पानी को इकट्ठा करना आदि नए काम कर्तव्य पथ पर हुए हैं।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
सेंट्रल विस्टा का कुल प्रोजेक्ट 20 हज़ार करोड़ का है और इसके तहत प्रधानमंत्री का नया आवास जिसमें चार मंजिल वाली 10 इमारतें होंगी और यह 15 एकड़ में होगा, बनाया जा रहा है। इसके अलावा उप राष्ट्रपति का आवास भी 15 एकड़ में बनाया जा रहा है जिसमें पांच मंजिला इमारतें होंगी।
इसी प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन भी बनाया जा रहा है। इसके निर्माण में 971 करोड़ की लागत आएगी और इसे दिसंबर, 2022 तक पूरा किया जाना है। प्रोजेक्ट के तहत मौजूदा संसद भवन के सामने नया तिकोना भवन बन रहा है।
सांसदों के लिए लॉन्ज, पुस्तकालय, संसद की अलग-अलग समितियों के कमरे, पार्किंग की जगह सहित कई तरह की सुविधाएं इस भवन में उपलब्ध होंगी। नया संसद भवन 64,500 स्क्वायर किमी में बन रहा है।
नया संसद भवन सन के अंत तक तैयार हो जाएगा और तब भारत अपनी आज़ादी का 75 वां साल मना रहा होगा। पुराने संसद भवन में जवाहर लाल नेहरू, डॉ. भीम राव आम्बेडकर, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, ज़ाकिर हुसैन, इंदिरा गांधी, डॉ. राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे बड़े कद के नेताओं की मौजूदगी रही थी।
संसद के मौजूदा भवन का डिज़ाइन 1911-12 में विख्यात निर्माण विशेषज्ञ और स्थापत्यकार इडविन लुटियन्स और हरबर्ट बेकर ने तैयार किया था। सन 1921 में इसका निर्माण शुरू हुआ और संसद भवन सन 1927 में बनकर तैयार हुआ था।
विपक्ष ने की थी आलोचना
कोरोना के दौरान भी सेंट्रल विस्टा का काम जारी रहने पर मोदी सरकार की आलोचना हुई थी। कोरोना के दौरान केंद्र सरकार ने इस परियोजना को आवश्यक सेवा के तहत रखा था और इसके लिए ज़रूरी तमाम तरह की मंजूरी दे दी गई थी।
विपक्ष ने इस परियोजना का यह कह कर विरोध किया था कि फ़िलहाल इसकी कोई ज़रूरत ही नहीं है और इस संकट में इस पैसे का इस्तेमाल दूसरे आवश्यक काम में किया जा सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कहा था कि मोदी सरकार को इस प्रोजेक्ट को रद्द कर देना चाहिए।
वास्तुकार और नगर योजनाकारों ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का विरोध किया था। कुछ लोग इस प्रोजेक्ट को रोकने के लिये सुप्रीम कोर्ट भी गए थे।
सरकार का तर्क
सरकार ने इस प्रोजेक्ट के पक्ष में दलील देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वर्तमान संसद भवन में जगह की बेहद कमी है, आग लगने या भूकंप से बचने के लिए भी ज़रूरी इंतजाम नहीं हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों के एक जगह होने का तर्क भी सरकार ने दिया था जिससे सरकार के काम करने की क्षमता बढ़ सके।
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