देश में विकसित कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन के पहले फेज के ट्रायल में कोई भी दुष्प्रभाव नहीं मिला है। शरीर में इम्युन यानी प्रतिरक्षा की प्रतिक्रिया भी मिली है। पहले चरण के ट्रायल की रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई है। कोवैक्सीन को भारत बायोटेक द्वारा विकसित की जा रही है। फ़िलहाल देश में विकसित इस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले टीकाकरण के बाद प्रतिकूल असर हल्के या मध्यम दर्जे के थे और किसी भी निर्धारित दवा के बिना तेज़ी से वह असर ख़त्म भी हो गया। सबसे आम प्रतिकूल घटना इंजेक्शन की जगह पर दर्द थी, जो अनायास ठीक हो गया। 30 जुलाई को टीका लगाए गए एक मरीज को पाँच दिन बाद बुखार और सिरदर्द हुआ। हालाँकि इसे मूल रूप से 'गंभीर प्रतिकूल घटना' के रूप में माना गया लेकिन, बाद में उनकी कोरोना संक्रमण की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
भारत में कोरोना वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए जिन तीन वैक्सीन के लिए आवेदन किया गया है उनमें से एक यह कोवैक्सीन भी है। दो वैक्सीन तो विदेश में निर्मित हैं। एक वैक्सीन के लिए अमेरिकी कंपनी फ़ाइज़र ने आवेदन किया है तो दूसरी कंपनी के लिए ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका कंपनी के साथ क़रार करने वाली भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने। तीसरी कंपनी भारत बायोटेक ही है जिसने कोवैक्सीन के लिए आवेदन किया है।
जिन तीन कंपनियों ने वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन किया था उन्होंने वैक्सीन से जुड़ी पूरी जानकारी मुहैया नहीं कराई थी। इसीलिए किसी वैक्सीन को भी मंजूरी नहीं मिली है। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन भी इसमें शामिल है। हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं है कि ये तीनों वैक्सीन नामंजूर कर दी गई हैं। उन कंपनियों से कहा गया है कि वे वैक्सीन के ट्रायल से जुड़े पूरे आँकड़े लेकर फिर से आएँ और तब इस पर विचार किया जाएगा।
विशेष कमेटी ने भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया को कहा है कि वे आख़िरी चरण के ट्रायल में आए सुरक्षा और प्रभाविकता के आँकड़े लेकर आएँ। तीसरी अमेरिका की कंपनी फ़ाइज़र है जिसने आँकड़े जमा करने के लिए और समय माँगा है।
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