जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद इस केंद्र शासित प्रदेश की सुरक्षा पर अब तक 9000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। करीब ढाई वर्ष पहले कश्मीर से मोदी सरकार ने धारा 370 हटाई थी और बहुत सारे दावे किए थे कि इससे क्या फायदे होंगे। उन दावों में यह भी कहा गया था कि आतंकवाद को खत्म करने में इससे मदद मिलेगी। 5 अगस्त, 2019 को केंद्र शासित प्रदेश के गठन के बाद से सुरक्षा संबंधी व्यय (पुलिस) योजना के तहत जम्मू और कश्मीर सरकार को पैसे का भुगतान किया गया था, जिस दिन जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया, उसी दिन अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को खत्म कर दिया गया। इस वजह से इस राज्य को विशेष दर्जा दिया और इसके तमाम नियमों को परिभाषित करने का अधिकार दिया।
होम मिनिस्ट्री की सालाना रिपोर्ट 2020-2021 में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है। जिसमें कहा गया है कि सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए, भारत सरकार ने सुरक्षा संबंधी व्यय (पुलिस) आवंटित किया है। योजना के तहत जम्मू कश्मीर को 9,120.69 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इस राशि में 448.04 करोड़ रुपये शामिल हैं जो 31 दिसंबर, 2020 तक जम्मू-कश्मीर के विभाजन के बाद खर्च किए गए थे। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है, एमएचए ने पांच इंडिया रिजर्व बटालियन बनाने को भी मंजूरी दी है, जम्मू-कश्मीर के लिए दो सीमा बटालियन और दो महिला बटालियन। पांच आईआर बटालियन के लिए भर्ती पहले ही पूरी हो चुकी है।
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की निगरानी और नियमित रूप से जम्मू-कश्मीर सरकार, सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा समीक्षा की जाती है।
घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई
गृह मंत्रालय भी उपरोक्त सभी एजेंसियों और रक्षा मंत्रालय के सहयोग से सुरक्षा स्थिति की बारीकी से और लगातार निगरानी करता है। सीमा पार से घुसपैठ को रोकने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण में अंतर्राष्ट्रीय सीमा या नियंत्रण रेखा पर बहु-स्तरीय तैनाती, सीमा पर बाड़ लगाना, बेहतर खुफिया और परिचालन समन्वय, सुरक्षा बलों को उन्नत हथियारों से लैस करना और घुसपैठियों के खिलाफ सक्रिय कार्रवाई शामिल है।
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