दिल्ली पुलिस ने कथित तौर पर 'सांप्रदायिक राजनीति और बुलडोजर राज' के मसले पर आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। यह कार्यक्रम गांधी शांति प्रतिष्ठान आयोजित करने वाला था और इसमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी (इंडियन), मजदूर एकता सहित कम से कम 12 संगठनों के इसमें शामिल होने की संभावना थी।
यह कार्यक्रम सोमवार को गांधी पीस फाउंडेशन सभागार में शाम 6 बजे से 8 बजे के बीच होने वाला था। लेकिन सोमवार को ही दिल्ली पुलिस ने परिसर का दौरा किया और कथित तौर पर फाउंडेशन को कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। आरोप लगाया गया है कि पुलिस ने उस कार्यक्रम को रद्द करने के लिए आयोजकों पर दबाव बनाया।
आयोजकों का मानना है कि 'सांप्रदायिक राजनीति और बुलडोजर राज' जैसे मुद्दे पर चर्चा की वजह से इस कार्यक्रम को रद्द किया गया है। बता दें कि बुलडोजर का यह मामला तब र्चचा में आया है जब पहली बार मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी पर सांप्रदायिक हिंसा के बाद बुलडोजर का इस्तेमाल मकानों को ध्वस्त करने के लिए किया गया। आरोप लगाया गया था कि इसका इस्तेमाल एक खास समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया गया।
दिल्ली के जहाँगीरपुरी में भी एक शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी और फिर वहाँ भी बुलडोजर का इस्तेमला किया गया। आधिकारिक बयान में कहा गया कि अवैध कब्जों पर वह कार्रवाई की गई, लेकिन आरोप लगा कि एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया गया। हालाँकि उस कार्रवाई में कुछ दूसरे समुदाय के ढाँचे भी ढहाए गए।
अब शाहीन बाग जैसे इलाक़ों में भी बुलडोजर से ऐसी ही कार्रवाई की जा रही है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि भले ही कार्रवाई किसी भी कारण से की जा रही है, लेकिन निशाने पर ग़रीब और मध्यम परिवार के लोग आ रहे हैं, न कि धनाढ्य लोग।
ऐसे ही मसलों को लेकर गांधी शांति प्रतिष्ठान में एक गोष्ठी का आयोजन किया जाना था। लेकिन उस कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा।
मजदूर एकता कमेटी के सचिव बिरजू नायक ने 'द वायर' को बताया, "उन्होंने (दिल्ली पुलिस) विशेष रूप से प्रबंधन को बताया कि कार्यक्रम एक आतंकवादी संगठन द्वारा आयोजित किया जा रहा है, 'इसलिए कृपया कार्यक्रम रद्द करें, अन्यथा हमें सभागार को सील करना होगा'।"
उन्होंने आगे कहा कि मज़दूर एकता कमेटी ने गांधी पीस फाउंडेशन सभागार में कई कार्यक्रम आयोजित किए थे, लेकिन ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई थी।
द वायर से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील अरुण मांझी ने पुष्टि की, 'दिल्ली पुलिस ने सभागार प्रबंधन से कहा कि अगर यहाँ बैठक होती है तो वे सभागार को सील कर सकते हैं।' उन्होंने कहा कि हमें उन लोकतांत्रिक अधिकारों को बचाने की कोशिश करनी होगी जो हमसे छीने जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हम देख सकते हैं कि राज्य कैसे उन लोगों पर नज़र रख रहा है जो बैठकें और चर्चा कर रहे हैं।
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