देश भर में सरकारों पर कोरोना से मौत के मामलों को छुपाने के आरोप क्यों लग रहे हैं? यह बिहार से साफ़ हो जाएगा। कोरोना से पहले जहाँ क़रीब 5500 लोगों की मौत हुई थी वह बुधवार को एकाएक 9429 हो गई है। यानी क़रीब 72 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
पटना से लगभग 90 किलोमीटर दूर दक्षिण सेनारी में 18 मार्च 1999 को हुए नरसंहार में निचली अदालत से सजायाफ्ता एक दर्जन से अधिक लोगों को बीते शुक्रवार को पटना हाई कोर्ट ने बरी कर दिया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अपने ताजा बयान में कहा है कि कोविड के दूसरे दौर में अब तक 244 डॉक्टरों की जान चली गयी है। इसमें सर्वाधिक 78 डाॅक्टर बिहार के हैं।
गाँवों-क़स्बों में अस्पताल तो है नहीं, दूर-दराज के छोटे शहरों में कुछ छोटे अस्पताल हैं भी तो यह पता नहीं होता कि किस अस्पताल में क्या सुविधा है, कितने बेड खाली हैं?
कोरोना काल में नीतीश सरकार के लिए मुसीबत बन चुके पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की गिरफ़्तारी को लेकर मंगलवार को बिहार सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में माहौल बेहद गर्म रहा।
गाँवों में लोग बीमार हैं। लेकिन ग्रामीणों के लिए कोरोना जाँच कराना इतना आसान नहीं है, इसलिए जाँच कराने से बेहतर सर्दी-जुकाम और बुखार की दवाओं से अपना इलाज करा रहे हैं।
बिहार के बक्सर में गंगा नदी में एक पुल के नीचे आज दूसरे दिन भी कई शव तैरते हुए पाए गए। एक दिन पहले ही उस क्षेत्र में क़रीब 40-45 शव मिलने से हड़कंप मच गया था। अधिकारियों के अनुसार, अब तक कुल 71 शव मिले हैं।
बिहार के बक्सर ज़िला स्थित चौसा कस्बे में उस समय सनसनी फैल गई जब देखते ही देखते उसके महादेवा घाट पर लाशों का अंबार लग गया। सुबह-सुबह कम से कम 40-45 लाशें गंगा नदी में बहती हुई महादेवा घाट पर लग गईं।
ऐसे समय में जब कोरोना संकट के बीच अस्पताल बेड, ऑक्सीजन, दवाएँ, एंबुलेंस सहित हर स्वास्थ्य सुविधाएँ कम पड़ रही हैं, बिहार के बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी के यहाँ कई एंबुलेंस खड़ी मिलने के बाद हंगामा हो गया है।