क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बरदोलोई को लिखी नेहरू की चिट्ठी को परिप्रेक्ष्य से काट कर और ग़लत ढंग से पेश किया है?
बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ने गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त एक बार नहीं कहा, उन्होंंने संसद में भी उसे दुहराया। पर गाँधी से नफ़रत करना तो आरएसएस का इतिहास रहा है।
इस बार बजट की ख़ास बातों में एक था- बिना पैन यानी सिर्फ़ आधार नंबर पर आयकर जमा हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि इससे क्या दो-दो पैन कार्ड बन जाने की गड़बड़ियाँ नहीं होंगी? और फिर पैन की ज़रूरत ही क्यों रहेगी?
सपा और राजद की हार के साथ ही समाजवादी आंदोलन का एक युग समाप्त होता दिखाई दे रहा है। ये दोनों दल अंतत: परिवारवाद की दहलीज पर दम तोड़ते दिखाई दे रहे हैं।
नतीजों को देखकर लगता है कि बीजेपी को हटाने का दम विपक्ष में नहीं है। विपक्ष को ख़ुद को बदलने की ज़रूरत है। और अगर वे नहीं बदलते हैं तो फिर उनके लिए हालात बहुत मुश्किल होंगे।
बंगाल में बीजेपी के ‘जय श्री राम’ की चुनौती का जवाब तृणमूल ने ‘जय माँ दुर्गा’ से दिया। बंगाल की राजनीति में हमें ये दोनों प्रतीक आमने-सामने खड़े दिख रहे हैं।