अमित शाह राज्य सभा के सदस्य हैं तो फिर वह लोकसभा का चुनाव क्यों लड़ रहे हैं? क्या शाह ने ख़ुद को भविष्य के प्रधानमंत्री के तौर पर देखना शुरू कर दिया है?
कांग्रेस अध्यक्ष ने सही समय पर हस्तक्षेप कर बीजेपी के सर्जिकल स्ट्राइक से पार्टी को बचा लिया और जितिन प्रसाद ने पार्टी नहीं छोड़ी, पर जितिन अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर दुविधा में हैं।
मोदी 2014 के चुनावों के महानायक बने। लोगों को उम्मीद थी कि वह भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए ठोस क़दम उठाएँगे। 2014 में लोकपाल की नियुक्ति भी बड़ा मुद्दा थी।
अन्ना आंदोलन के दौरान बने नारे की तर्ज पर बीजेपी ने ‘मैं भी चौकीदार’ नारा तो बना लिया, लेकिन देखना होगा कि क्या यह नारा लोगों को लोकसभा चुनाव में लुभा पाएगा।
2019 का लोकसभा चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा। चुनाव का सबसे प्रमुख मुद्दा मोदी सरकार की नाक़ामिया हैं। विपक्ष को मोदी सरकार की नाकामियों को जनता के सामने लाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 11 लाख आदिवासी परिवारों को जंगलों से निकाल कर बाहर कर दिया जाए। कोर्ट के इस आदेश से ये आदिवासी परिवार बड़ी मुश्किल में फंस गए हैं।
जब कथित राष्ट्रवादी ताक़तें विश्व कप में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच खेलने के ख़िलाफ़ हैं, सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि भारत को पड़ोसी देश से क्रिकट खेलना चाहिए।
‘गली बॉय’ व्यवस्था को सीधी चुनौती नहीं देती, लेकिन बिना कुछ कहे भी कह जाती है कि ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ का नारा देने वाले नेता लोगों की जिंदगी नहीं बदल सकते।