नतीजों को देखकर लगता है कि बीजेपी को हटाने का दम विपक्ष में नहीं है। विपक्ष को ख़ुद को बदलने की ज़रूरत है। और अगर वे नहीं बदलते हैं तो फिर उनके लिए हालात बहुत मुश्किल होंगे।
बंगाल में बीजेपी के ‘जय श्री राम’ की चुनौती का जवाब तृणमूल ने ‘जय माँ दुर्गा’ से दिया। बंगाल की राजनीति में हमें ये दोनों प्रतीक आमने-सामने खड़े दिख रहे हैं।
अमित शाह ने 300 सीटों से ज़्यादा जीतने का दावा किया है। लेकिन पहले के चुनावों के आँकड़े तो तसवीर कुछ अलग ही पेश करते हैं। ये आँकड़े अमित शाह के दावे के विपरीत कहानी कहते हैं।
जब ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री हमारे बारे में जिस तरह की बातें करते हैं कि मैं उनको लोकतंत्र का झन्नाटेदार थप्पड़ मारना चाहती हूँ तो मोदी ने उसे दीदी का थप्पड़ क्यों बना दिया?
अख़बार ‘ल मोंद’ में हुआ रहस्योद्घाटन नरेंद्र मोदी की छवि को धूल-धूसरित कर रहा है। इसके बाद राहुल गाँधी ने रफ़ाल सौदे में गड़बड़ी को लेकर मोदी पर हमला तेज़ कर दिया है।
यूपी, बिहार की सामाजिक न्याय की लड़ाई कुनबे की लड़ाई में तब्दील हो गई है। नेता वंचित तबके़ को एकजुट करने में नहीं बल्कि जातीय गोटियाँ बैठाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी परिवारवाद, वंशवाद को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमला बोलते रहे हैं। लेकिन यह जानना ज़रूरी है कि बीजेपी ख़ुद इस मामले में कितनी दूध की धुली है।
समझौता एक्सप्रेस बम कांड में असीमानंद के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा सबूत उनका 42 पेज का क़बूलनामा था। उनके वकीलों ने बाद में उनसे कहा भी कि आपके इस क़बूलनामे के बाद हम भी आपको नहीं बचा पाएँगे। लेकिन वह बच गये।