क्या आप जानते हैं कि दुनिया के लिए क़यामत बन चुके नए करोना वायरस का ऑफ़िशल नाम क्या है? क्या कहा- COVID -19? जी नहीं, यह तो उस बीमारी का नाम है जो इस वायरस ने फैलाई है।
विश्व के तमाम देशों ने कोरोना से जूझने के लिए राहत पैकेज का एलान किया है। भारत सरकार ने भी कोविड-19 के कारण हुई देशबंदी से राहत देने के लिए 1,70,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में कोरोना वायरस से बचाव की कार्रवाई काफ़ी देर से शुरू हुई। क्रोनोलॉजी से आप जानते हैं कि चीन में इसका पता 31 दिसंबर को चला था और भारत में पहला मामला 30 जनवरी को मिला था।
क्या रूस-चीन-अमेरिका के परमाणु होड़ में भारत फँस जाएगा? इससे भारत को रणनीतिक स्तर पर फ़ायदा है या नुक़सान? क्या आज के युग में परमाण हथियारों की ज़रूरत है?
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बरदोलोई को लिखी नेहरू की चिट्ठी को परिप्रेक्ष्य से काट कर और ग़लत ढंग से पेश किया है?
बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ने गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त एक बार नहीं कहा, उन्होंंने संसद में भी उसे दुहराया। पर गाँधी से नफ़रत करना तो आरएसएस का इतिहास रहा है।
इस बार बजट की ख़ास बातों में एक था- बिना पैन यानी सिर्फ़ आधार नंबर पर आयकर जमा हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि इससे क्या दो-दो पैन कार्ड बन जाने की गड़बड़ियाँ नहीं होंगी? और फिर पैन की ज़रूरत ही क्यों रहेगी?
सपा और राजद की हार के साथ ही समाजवादी आंदोलन का एक युग समाप्त होता दिखाई दे रहा है। ये दोनों दल अंतत: परिवारवाद की दहलीज पर दम तोड़ते दिखाई दे रहे हैं।