मायावती का राजनीतिक संघर्ष सचमुच चमत्कारिक रहा है, लेकिन क्या वह इस लोकसभा चुनाव में सीटें जीतने और प्रधानमंत्री की दावेदारी पर कुछ वैसा ही चमत्कार दिखा पाएँगी?
लोकसभा चुनाव के सात चरणों में से तीन चरणों का चुनाव रमज़ान में कराए जाने को लेकर घमासान शुरू हो गया है। कई पार्टियों ने रमज़ान में चुनाव कराने का कड़ा विरोध किया है।
सर्जिकल स्ट्राइक के मुख्य रणनीतिकार लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर्ड दीपेंद्र सिंह हुडा अब कांग्रेस के साथ हैं। राहुल गाँधी ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर गठित टास्क फ़ोर्स की कमान दीपेंद्र सिंह हुडा को सौंपी है।
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद देश में मातम है। दुख की इस घड़ी में कांग्रेस ने सुरक्षाबलों और सरकार के साथ खड़े रहने की प्रतिबद्धता जताई है। लेकिन आंतरिक सुरक्षा के मसले का क्या?
प्रियंका पूर्वांचल की प्रभारी हैं, लेकिन अपना पहला बयान उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मसले पर दिया, जिसके प्रभारी सिंधिया हैं। यानी संकेत यह है कि उनका दायरा केवल वहीं तक सीमित नहीं हैं, जहाँ की वह प्रभारी बनाई गई हैं।
एमपी में गोकशी और गो-तस्करी मामले में रासुका लगाने पर दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान में बेचैनी है। पहले दिग्विजय सिंह और अब पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के इन मामलों में रासुका लगाए जाने पर सवाल उठाए हैं।
राहुल गाँधी प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ आज बहुत आक्रामक दिखे। उनका लहज़ा काफ़ी तल्ख़ था और तेवर तीखे। उन्होंने मोदी को कायर, डरपोक कहा। उन्होंने उन्हें मोहन भागवत के रिमोट कंट्रोल से चलने वाला प्रधानमंत्री क़रार दिया।
कांग्रेस में पदाधिकारियों की तादाद इतनी बढ़ गई है कि पार्टी मुख्यालय 24 अकबर रोड पर नेताओं के बैठने के लिए जगह कम पड़ गई है। इससे पार्टी के काम पर भी असर पड़ता है।
दो हफ़्ते पहले ही कांग्रेस महासचिव बनाई गईं प्रियंका गाँधी वाड्रा को कांग्रेस मुख्यालय 24, अकबर रोड में पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी के बगल वाला कमरा दिया गया है।
आम चुनाव में बड़े पर्दे की अहम भूमिका होगी। अब तक पीएम मोदी की छवि चमकाने वाली फ़िल्में रिलीज़ हुई हैं। लेकिन अब उनकी नाकामियों पर फ़िल्म रिलीज़ होने जा रही है।
जींद में हुई सुरजेवाला की बुरी हार ने कांग्रेस को झटका दिया है। राहुल गाँधी ने इस चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था,अब उनके फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं।
मोदी सरकार ने वक़्फ़ की संपत्ति पर क़ब्ज़ा जमाए बैठे लोगों को 10 साल और क़ाबिज़ रहने की मोहलत दे दी है। सरकार का तर्क है कि यूपीए सरकार में बना क़ानून व्यावहारिक नहीं था।
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं से ‘शक्ति’ ऐप के ज़रिये चुनावी मुद्दों से संबंधित फ़ीडबैक तो पार्टी लेगी, लेकिन उम्मीदवारों के बारे में रायशुमारी नहीं करेगी।