चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कांग्रेस में शामिल होना लगभग तय माना जा रहा है। बेहद खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस को क्या प्रशांत किशोर के पार्टी में आने से कोई फायदा मिलेगा?
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा एक बार फिर उठी है। कांग्रेस के सामने बड़ी राजनीतिक चुनौतियां हैं और अगर प्रशांत किशोर पार्टी में शामिल हुए तो क्या कांग्रेस को इससे कोई फायदा मिलेगा?
शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ के बाद आज़म खान के समर्थकों ने भी अखिलेश यादव से नाराज़गी जताई है। लेकिन सवाल यह है कि मुसलमान सपा को छोड़ने की सूरत में किसके साथ जा सकते हैं?
उत्तर प्रदेश की सियासत में इस बात की जोरदार चर्चा है कि शिवपाल यादव और आज़म ख़ान सपा छोड़ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह निश्चित रूप से अखिलेश यादव के लिए जोरदार झटका होगा
विधान परिषद के चुनाव में सपा का प्रदर्शन बेहद ख़राब रहा है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद इस एक और हार से क्या पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सबक लेंगे?
मायावती अब अपने पुराने सिपहसालार गुड्डू जमाली के जरिए आजमगढ़ में अखिलेश यादव को चुनौती दे रही हैं। अगर इस सीट पर बीएसपी जीत जाती है तो यह उसके लिए संजीवनी साबित हो सकती है।
योगी आदित्यनाथ की कोशिश उत्तर प्रदेश के चुनाव में ध्रुवीकरण करने की है और ध्रुवीकरण की मंशा वाले उनके तमाम बयान आए हैं। लेकिन इन बयानों का क्या कोई असर मतदाताओं पर पड़ा है?
उत्तर प्रदेश में कई बड़े नेता कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं, जिनमें राहुल व प्रियंका के करीबी भी शामिल हैं। ऐसे में राज्य में पार्टी से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की जा सकती।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा, बीएसपी व कांग्रेस जैसे प्रतिद्वंद्वी दलों के मुसलिम उम्मीदवारों के बीच में मुक़ाबले से किसे फायदा होगा? जानिए पहले चरण का हाल।
प्रियंका गांधी क्या यूपी में कांग्रेस की मुख्यमंत्री उम्मीदवार हो सकती हैं? इस सवाल का जवाब वह कुछ भी दें, लेकिन इससे पहले सवाल यह है कि वह क्या उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ भी सकती हैं?
विवादों में रहे मौलाना तौकीर रज़ा की इत्तेहद-ए-मिल्लत काउंसिल के साथ कांग्रेस ने गठबंधन आख़िर क्या सोचकर किया है? क्या इससे कांग्रेस को कुछ भी फायदा होगा?
असदुद्दीन ओवैसी अपनी चुनावी सभाओं में मुसलमानों से अपनी क़यादत बनाने पर जोर देते हैं। उत्तर प्रदेश में मुसलमानों की ज़्यादा आबादी वाली सीटों पर क्या वह अखिलेश को नुक़सान पहुंचा सकते हैं?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आई कांग्रेस की उम्मीदवारों की पहली सूची के बाद ही टिकट बंटवारे को लेकर आरोप क्यों लगने लगे? जानिए, टिकट नहीं मिलने पर कैसे-कैसे आरोप लगे।
ओमिक्रॉन के ख़तरे के बीच तीसरी लहर के जोर पकड़ने की आशंका है तो क्या ऐसे में चुनाव कराना ज़रूरी है? क्या कोरोना की दूसरी लहर से सीख ली गई है? जानिए, दूसरे देशों में कैसे फ़ैसले लिए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। पहले ही दिन कोर्ट ने यह सवाल उठा दिया है कि क्या अंग्रेज़ी हुकूमत में अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंटने के लिए बनाए गए इस क़ानून की आज कोई ज़रूरत है?
उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण क़ानून को लेकर योगी सरकार ने फ़ॉर्मूला तैयार कर लिया है। इसके तहत दो से ज़्यादा बच्चे वालों को न तो सरकारी नौकरी मिलेगी और न ही वो स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायत और ज़िला पंचायत का कोई चुनाव लड़ पाएँगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिपरिषद में बड़ा फेरबदल किया है। चेहरे तो बदल गए हैं, लेकिन क्या चाल-चरित्र भी बदलेगा?
ओमप्रकाश राजभर ने यह कहकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है कि असदुद्दीन ओवैसी भी उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बन सकते हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में सीएम तो बन नहीं पाए!
ओम प्रकाश राजभर ने हाल ही में अपने 'भागीदारी संकल्प मोर्चा' की तरफ़ से 5 साल में 5 मुख्यमंत्री और 20 उपमुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया था। राजभर मुसलमानों के बड़े मसीहा के तौर पर उभरेंगे या फिर पिछले चुनाव में जीती हुई अपनी चारों सीटें भी गँवा देंगे?