ब्रिटेन के प्रतिष्ठित अख़बार गार्डियन को ब्रिटेन के राष्ट्रीय अभिलेखागार से एक दस्तावेज़ हाथ लगा जिसमें साफ़ लिखा है कि काले आप्रवासियों या विदेशियों को महारानी एलिज़ाबेथ के यहाँ केवल सेवकों के रूप में तो रखा जाता था, दफ़्तरी कर्मचारियों के रूप में नहीं।
भारत का कोरोना संकट अब भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है। ऑक्सीजन और दवाओं के अभाव में और अस्पतालों में जगह न मिल पाने के कारण लोग बड़ी संख्या में दम तोड़ रहे हैं।
कोविड की महामारी अमेरिका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के देशों के बाद अब भारत में तबाही मचा रही है। इस पर काबू पाने के लिए भारत को भी अमेरिका, यूरोप और चीन की तरह टीकाकरण करना होगा।
भारत में रहने वालों के लिए यह ख़बर नई नहीं है। श्मशानों में जलती चिताओं और दाहकर्म के लिए प्रतीक्षा की कतारों को देख कर कोरोना से मरने वालों के सरकारी आँकड़ों पर संदेह होना स्वाभाविक है।
अमेरिकी इतिहास के सबसे नाटकीय चुनाव में डोनल्ड ट्रंप को हरा कर सत्ता में आए 46वें राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडन से दुनिया को ओबामा से भी बड़े और दूरगामी बदलावों की उम्मीदें हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पर दूसरी बार महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्स या प्रतिनिधि सभा ने महाभियोग का प्रस्ताव पारित कर दिया है। प्रस्ताव में राष्ट्रपति ट्रंप पर तीन आरोप लगाए गए हैं।
ट्रंपवादियों की उग्र भीड़ मंगलवार से ही कैपिटल हिल या संसद भवन के सामने डोनल्ड ट्रंप के समर्थन में और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन तथा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के विरोध में प्रदर्शन कर रही थी।
छह जनवरी को अमेरिका की नवनिर्वाचित संसद के दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन होगा, जिसमें निवर्तमान उपराष्ट्रपति माइक पेंस को अपनी चुनावी औपचारिकता निभाते हुए नए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव की घोषणा करनी है।
ओबामा सरकार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार और उसमें भारत को सदस्यता देने वाले प्रस्ताव के समर्थन में ला खड़ा करने का श्रेय भी बाइडन को ही दिया जाता है।
डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन अमेरिका के बड़े उत्तरी राज्य पेंसिलवेनिया और दक्षिणपूर्वी राज्य जॉर्जिया में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से आगे निकल गए हैं।
अमेरिका के ऐतिहासिक और रोमांचक राष्ट्रपति चुनाव में वही हो रहा है जिसका डर था। चुनाव के दिन और उससे पहले हुए भारी मतदान के कारण काँटे की टक्कर वाले पाँच बड़े राज्यों में मतगणना पूरी करने में समय लग रहा है।
अमेरिका में चल रहे 59वें राष्ट्रपति चुनाव ने देश की दो बड़ी कमज़ोरियों को उजागर किया है। पहली यह कि अमेरिका दलगत राजनीति और संकीर्ण विचारधाराओं के आधार पर कितना बँटा हुआ है। दूसरी यह कि राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली में कितनी बड़ी ख़ामियाँ हैं।
राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने वर्षों से जड़ें जमाए बैठी राजनीतिक व्यवस्था और नौकरशाही को उखाड़ फेंकने के नाम पर देश के बुनियादी मूल्यों की ही बलि चढ़ा दी है।
अमेरिका में 59वें राष्ट्रपतीय आम चुनाव चल रहे हैं। चुनाव के लिए 3 नवंबर का दिन तय है लेकिन मतदान अब तक सवा 9 करोड़ से ज़्यादा लोग अपना वोट डाल चुके हैं। काउंटियाँ या तहसीलें चुनाव कराती हैं। जानिए, क्या है चुनाव प्रक्रिया।
एक कुशल और सफल कारोबारी होने का दम भरने वाले और उसे राष्ट्रपति पद की दावेदारी की सबसे बड़ी योग्यता के रूप में पेश करने वाले अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के पहले दो वर्षों में हर साल मात्र 750 डॉलर आयकर भरा है।