लेखिका भारत सरकार के मॉडर्नाइजेशन ऑफ़ मदरसा एजुकेशन प्रोग्राम 2000 से को-ऑर्डिनेटर के तौर पर औपचारिक रूप से जुड़ी रही हैं और इस विषय पर उन्होंने लगातार लिख-बोल कर मुहिम चलाई है।
2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने जब अयोध्या विवाद में फैसला दिया था तब भी आशंका थी कि मुसलिम समाज तीव्र प्रतिक्रिया देगा, पर नहीं, सब शांत रहे और ज़्यादातर ने फैसले को सार्वजानिक तौर पर स्वीकार किया।
‘अगर मदरसे के युवा भी ग्रेजुएट होकर नौकरी के क़ाबिल हो जाएँ तो इसमें क्या ऐतराज़ है?’ यदि ऐतराज़ नहीं तो फिर अब तक इन मदरसों को मॉडर्नाइज क्यों नहीं होने दिया गया?