भोपाल में कोरोना का संक्रमण तेज़ी से फैलने के कारण पूर्ण लाॅकडाउन करने का आदेश जारी कर दिया है। किराना और अन्य उन दुकानों को अब अपनी दुकानें खोलने की अनुमति नहीं होगी। पूर्ण लाॅकडाउन में मेडिकल स्टोर और दूध पार्लर ही खोले जा सकेंगे।
इंदौर के टाटपट्टी बाखल में कोरोना संदिग्धों की स्क्रीनिंग का काम फिर तेज़ हो गया है। शुक्रवार को उन्हीं डाॅक्टरों ने इस बस्ती में कोरोना के संदिग्धों के सैंपल लिए जिन्हें बुधवार को भीड़ ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था और पत्थर मारे थे।
इंदौर में डाॅक्टरों और अन्य कर्मियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटने के आरोप में गिरफ्तार किये गये चार अभियुक्तों पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई है।
दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल लोगों की कोरोना से मौतों के बाद मचे हड़कंप के बीच भोपाल में भी प्रशासन हरकत में आया है। कई मसजिदों में पुलिस और प्रशासन ने विदेशी जमातों को लेकर खोजबीन की।
मध्य प्रदेश की व्यावसायिक नगरी इंदौर में कोरोना संक्रमण को लेकर हालात बेकाबू हो चले हैं। सोमवार को 40 संदिग्धों के सैंपल लेकर भोपाल एम्स में भेजे गए थे, जिनमें से 17 की रिपोर्ट पाॅजिटिव आयी है।
लाॅकडाउन का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ पुलिस कई जगहों पर बर्बर होती दिखी है। मध्य प्रदेश में ऐसे ही एक मामले में महिला सब इंस्पेक्टर ने मजदूर के माथे पर ‘मुझसे दूर रहना’ लिख दिया।
सीएम की कुर्सी संभालते ही शिवराज सिंह चौहान ने अपने सियासी प्रतिद्वंद्वी नरोत्तम मिश्रा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। लगता है कि शिवराज उन्हें ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं हैं।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे एक पत्रकार का कोरोना टेस्ट पाॅजिटिव निकला है। इसके बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया है।
कमलनाथ सरकार गिरने के बाद बीजेपी में मुख्यमंत्री पद की लड़ाई तेज हो गई है। शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से चुनौती मिल रही है।
सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट के आदेश और स्पीकर एनपी प्रजापति द्वारा कांग्रेस के 16 बाग़ी विधायकों के इस्तीफ़े मंजूर कर लिए जाने के बाद कमलनाथ सरकार के बच पाने की संभावनाएँ लगभग ख़त्म हो गई हैं। फ्लोर टेस्ट के लिए दो बजे का समय सुनिश्चित किया गया है।
दुनिया भर में भले ही कोरोना वायरस को लेकर दहशत का माहौल हो लेकिन मध्य प्रदेश में नेताओं को सिर्फ कुर्सी की चिंता है और जनता की परेशानियों से शायद उन्हें कोई मतलब ही नहीं है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के जिन 16 विधायकों से कमलनाथ सरकार ने उम्मीद बांध रखी थी, उन्होंने रविवार सुबह वीडियो बयान जारी करते हुए दो टूक कह दिया है कि उन्होंने ‘इस्तीफ़े स्वेच्छा से दिए हैं।’
मध्य प्रदेश की 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार क्या अब चंद घंटों की मेहमान है? यह सवाल राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा मुख्यमंत्री को शनिवार और रविवार की दरमियानी रात भेजे गए ख़त के बाद उठाया जा रहा है।
विधानसभा स्पीकर ने सिंधिया समर्थक उन छह विधायकों के इस्तीफ़े मंजूर कर लिए हैं जो कमलनाथ काबीना में सदस्य थे और जिन्हें बगावत के चलते मुख्यमंत्री ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था।